रायपुर, 23 अक्टूबर 2025।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज मुख्यमंत्री निवास रायपुर में स्थित गौशाला में गोवर्धन पूजा के पावन अवसर पर गौमाता की पूजा-अर्चना की।
उन्होंने गौमाता को खिचड़ी खिलाकर गोसेवा की परंपरा निभाई और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि, शांति और खुशहाली की मंगलकामना की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह प्रकृति, गौवंश और पर्यावरण के प्रति कृतज्ञता का पर्व है। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों को गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं दीं और कहा कि इस पर्व से हमें प्रकृति के संरक्षण और पशुधन की सेवा का संदेश मिलता है।
🌾 गौसेवकों को किया सम्मानित, मिठाई खिलाई
पूजा-अर्चना के पश्चात मुख्यमंत्री ने गौशाला में सेवा कर रहे गौसेवकों को अपने हाथों से मिठाई खिलाकर सम्मानित किया। उन्होंने उनकी निष्ठा और समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि गौसेवा भारतीय संस्कृति का मूल स्वरूप है।
मुख्यमंत्री ने सभी से गौवंश की रक्षा और संरक्षण के लिए आगे आने का आग्रह किया।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने गौशाला की व्यवस्थाओं का निरीक्षण भी किया। गौसेवकों ने बताया कि यहां गौवंश की देखरेख के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
🕉️ गाय भारतीय संस्कृति की आधारशिला: मुख्यमंत्री साय
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा —
“गोवर्धन पूजा हमारे जीवन में प्रकृति, अन्न और पशुधन के प्रति आभार और कृतज्ञता का प्रतीक है। गाय न केवल हमारे ग्रामीण जीवन से जुड़ी है, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था और आस्था दोनों की केंद्रबिंदु है।”
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की मिट्टी में गोसेवा और प्रकृति पूजन की भावना गहराई से रची-बसी है। गाय, अन्न और धरती का सम्मान करना उस मातृशक्ति को प्रणाम करना है, जिससे जीवन जुड़ा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम इनकी सेवा करते हैं, तब हम अपनी संस्कृति की जड़ों और समृद्धि के स्रोतों को स्पर्श करते हैं।
🐄 गौसेवा को ग्रामीण विकास की धुरी बनाने का संकल्प
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य गोसेवा को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की धुरी बनाना है।
उन्होंने कहा कि गाय गौमाता के रूप में पूजनीय है और उनके संरक्षण से न केवल ग्रामीण जीवन समृद्ध होता है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन भी कायम रहता है।

पूरे कार्यक्रम के दौरान वातावरण में भक्ति, आस्था और श्रद्धा की पवित्र भावना व्याप्त रही।
जब मुख्यमंत्री ने गौमाता के चरणों में दीप जलाया और उन्हें खिचड़ी खिलाई, तो उपस्थित सभी लोगों की आंखों में भावुकता और श्रद्धा एक साथ झलक रही थी। यह दृश्य छत्तीसगढ़ की धरती और संस्कृति के जीवंत संबंध का प्रतीक बन गया।
