भूपेश बघेल का पीएम मोदी पर निशाना: ‘प्रधानमंत्री जी, आपका दिल कितना छोटा है!’ — नक्सलवाद पर बयान से छिड़ी सियासी जंग

रायपुर, छत्तीसगढ़।
छत्तीसगढ़ की सियासत एक बार फिर गर्मा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया ट्वीट पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। प्रधानमंत्री द्वारा नक्सलवाद पर दिए बयान को लेकर बघेल ने कहा —

“प्रधानमंत्री जी, आपका दिल कितना छोटा है!”

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का आत्मसमर्पण कांग्रेस सरकार की नीति और ‘विश्वास-विकास-सुरक्षा’ के सूत्र का नतीजा था, न कि किसी राजनीतिक दिखावे का।


🔹 भूपेश बघेल बोले – नक्सलवाद खत्म करने में कांग्रेस की नीति कारगर

भूपेश बघेल ने कहा कि उनकी सरकार ने नक्सल समस्या को केवल “सुरक्षा” से नहीं, बल्कि विश्वास और विकास के जरिये हल करने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस सरकार की नीतियों का ही परिणाम था कि सैकड़ों नक्सली आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटे।

बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा —

“जब नक्सलवाद कमजोर हो रहा है, तब भी प्रधानमंत्री कांग्रेस को नक्सलवाद से जोड़कर छींटाकशी कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि उनकी रुचि देश की आंतरिक सुरक्षा से ज्यादा विपक्ष पर झूठे आरोप लगाने में है।”


🔹 ‘नक्सलवाद की सबसे बड़ी कीमत कांग्रेस ने चुकाई’

भूपेश बघेल ने कहा कि कांग्रेस ने नक्सलवाद और आतंकवाद की सबसे बड़ी कीमत चुकाई है।
उन्होंने याद दिलाया कि पार्टी के कई वरिष्ठ नेता एक कथित नक्सली हमले में मारे गए थे, जिसकी जांच को भाजपा नेताओं ने बार-बार रोका।

बघेल ने सवाल किया —

“15 साल तक छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार थी, तब नक्सलवाद के खिलाफ ऐसी प्रगति क्यों नहीं हुई? जब केंद्र में भी भाजपा की सरकार थी, तब भी कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया?”


🔹 कांग्रेस ने गृहमंत्री को भी दिया था धन्यवाद

बघेल ने कहा कि उनकी सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में केंद्रीय गृह मंत्रालय को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया था।
उन्होंने कहा कि यह संघर्ष राजनीतिक नहीं, बल्कि जनहित और राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है।


🔹 राज्य की राजनीति में नई बहस

भूपेश बघेल के बयान के बाद राज्य की राजनीति में नई बहस शुरू हो गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बघेल का यह बयान कांग्रेस को नक्सल नीति पर “क्रेडिट पॉलिटिक्स” की दिशा में ले जा सकता है, जबकि भाजपा इसे “वोट बैंक पॉलिटिक्स” कहकर चुनौती दे रही है।

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