अमेरिका में ‘No Kings’ आंदोलन तेज़: ट्रंप की नीतियों के खिलाफ लंदन से लेकर वॉशिंगटन तक प्रदर्शन

वॉशिंगटन, 19 अक्टूबर 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ शुरू हुआ ‘No Kings protests’ आंदोलन अब एक वैश्विक रूप ले चुका है। शनिवार को लंदन में अमेरिकी दूतावास के बाहर सैकड़ों लोग जमा हुए और “No Kings” के नारे लगाए। यह प्रदर्शन ट्रंप सरकार की आव्रजन, शिक्षा और सुरक्षा नीतियों के विरोध में किया गया।

आयोजकों के अनुसार, यह अभियान ट्रंप की “तानाशाही प्रवृत्ति” के खिलाफ लोकतांत्रिक आवाज़ उठाने का प्रयास है।


🌍 दुनियाभर में हजारों प्रदर्शन

‘No Kings protests’ के तहत शनिवार को अमेरिका और अन्य देशों में 2,600 से अधिक रैलियां आयोजित की गईं। लंदन, मैड्रिड और बार्सिलोना में भी भीड़ जुटी, जबकि अमेरिका में हजारों लोग वॉशिंगटन, न्यूयॉर्क, शिकागो और कैलिफ़ोर्निया की सड़कों पर उतरे।

सामाजिक संगठनों के मुताबिक, यह आंदोलन ट्रंप के 10 महीने पुराने कार्यकाल के दौरान बढ़ी सरकारी कठोरताओं के खिलाफ लोगों के गुस्से की अभिव्यक्ति है।


🧾 ट्रंप नीतियों पर बढ़ती नाराज़गी

ट्रंप प्रशासन ने आव्रजन कानूनों को सख्त किया, विश्वविद्यालयों के लिए फंडिंग घटाने की धमकी दी और कई राज्यों में नेशनल गार्ड की तैनाती की। आलोचकों का कहना है कि इन कदमों ने अमेरिका के लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर किया है।

‘No Kings’ अभियान की सह-संस्थापक लिया ग्रीनबर्ग ने कहा —

“अमेरिका में कभी राजा नहीं रहा। यह आंदोलन उस परंपरा की रक्षा के लिए है कि जनता ही असली शक्ति है।”

उन्होंने इस अभियान को “शांतिपूर्ण प्रतिरोध की मिसाल” बताया।


🇺🇸 वॉशिंगटन और वर्जीनिया में प्रदर्शन

अमेरिकी राजधानी क्षेत्र में No Kings protests का सबसे बड़ा जमावड़ा देखा गया। नॉर्दर्न वर्जीनिया से लेकर वॉशिंगटन डीसी तक पुलों पर लोग झंडे लेकर मार्च करते दिखे।
कई सौ लोग आर्लिंगटन नेशनल सेमेट्री के पास इकट्ठा हुए, जहां ट्रंप ने हाल ही में एक विशाल स्मारक बनाने का प्रस्ताव रखा था।


🤝 लोकतांत्रिक नेताओं और संगठनों का समर्थन

इस आंदोलन को सीनेटर बर्नी सैंडर्स, अलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज, और हिलेरी क्लिंटन जैसे नेताओं का समर्थन मिला है।
ACLU (American Civil Liberties Union) ने हजारों स्वयंसेवकों को कानूनी सहायता और सुरक्षा प्रशिक्षण दिया है।

जून में भी ट्रंप के 79वें जन्मदिन पर 2,000 से अधिक शहरों में इसी तरह के No Kings protests हुए थे।


🗣️ रिपब्लिकन नेताओं ने किया विरोध

रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने इन प्रदर्शनों को “एंटी-अमेरिकन आंदोलन” बताया।
हाउस स्पीकर माइक जॉनसन ने कहा — “डेमोक्रेट्स देशभक्ति की जगह नफरत को बढ़ावा दे रहे हैं।”

हालांकि ट्रंप ने इन विरोधों पर ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा —

“वे मुझे राजा कह रहे हैं, लेकिन मैं राजा नहीं हूं।”


📊 विश्लेषकों के अनुसार ऐतिहासिक प्रदर्शन

अमेरिकन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डाना फिशर के अनुसार, यह विरोध हाल के वर्षों में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक जमावड़ा हो सकता है।
उनका कहना है, “यह आंदोलन नीतियों को तुरंत बदलने के लिए नहीं, बल्कि लोगों को अपनी सामूहिक आवाज़ वापस देने के लिए है।”


🕊️ लोकतंत्र की नई पुकार

‘No Kings protests’ ने यह संदेश दिया है कि लोकतंत्र में जनता की आवाज़ सबसे ऊंची होती है। अमेरिका से लेकर यूरोप तक, यह आंदोलन नागरिक अधिकारों की पुनर्स्थापना की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है।

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