बलौदा बाजार (छत्तीसगढ़)। राज्य में एक बार फिर “Chhattisgarh Police Brutality” का मामला सामने आया है। कोतवाली पुलिस पर गश्त के दौरान एक युवक की बेरहमी से पिटाई करने का आरोप लगा है। पीड़ित युवक हितेश्वर भट्ट गंभीर रूप से घायल हुआ, जिसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि फिलहाल वह खतरे से बाहर है, लेकिन घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
🚨 घटना कैसे हुई — युवक ने बताया पूरी बात
पीड़ित हितेश्वर भट्ट के मुताबिक, वह रात करीब 9 बजे रिसदा रोड की एक दुकान के पास सिगरेट पी रहा था। तभी थाना प्रभारी अजय झा अपनी टीम के साथ पहुंचे। पुलिस को देखकर वहां मौजूद लोग भागने लगे।
हितेश्वर ने कहा, “थाना प्रभारी ने पीछे से लात मारी, जिससे मेरी कमर में चोट लगी। पीछे रखी शराब की बोतल फूट गई और कांच का टुकड़ा शरीर में घुस गया। दोस्तों ने मुझे अस्पताल पहुंचाया, जहां 14 टांके लगे।”
उसकी मां रानी भट्ट ने पुलिस पर बिना वजह मारपीट का आरोप लगाया और कहा कि बेटे को न्याय दिलाने के लिए वे शिकायत दर्ज करा चुकी हैं।
🧾 पुलिस का पक्ष: ‘जांच के बाद होगी कार्रवाई’
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने बताया कि बलौदा बाजार में नशे के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। इसी दौरान कोतवाली पुलिस ने रिसदा रोड पर छापा मारा।
उन्होंने कहा, “पुलिस ने मौके पर कुछ लोगों को भागते देखा, इसी दौरान युवक के पैंट में रखी शराब की बोतल टूटने से चोट लगी। जांच रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।”
🗣️ कांग्रेस ने जताई नाराज़गी, कहा– ‘यह पुलिस अत्याचार है’
घटना के बाद कांग्रेस ने पुलिस पर सख्त रुख अपनाया है। जिला युवक कांग्रेस अध्यक्ष शैलेन्द्र बंजारे ने कहा, “एक आदिवासी युवक के साथ बर्बरता की गई है। थाना प्रभारी अपनी दबंगई दिखा रहे हैं।”
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने थाने के बाहर गांधीजी के फोटो के साथ प्रदर्शन किया और दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित करने की मांग की।
पूर्व पाठ्यपुस्तक निगम अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि पुलिस ने न सिर्फ पिटाई की, बल्कि उल्टा युवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी, जो अन्यायपूर्ण है और तुरंत वापस ली जानी चाहिए।
🏥 डॉक्टर बोले– मरीज खतरे से बाहर है
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अशोक वर्मा ने बताया कि हितेश्वर भट्ट की कमर के निचले हिस्से में गहरी चोट आई थी। उन्होंने कहा, “इलाज जारी है, मरीज की स्थिति स्थिर है और अब वह खतरे से बाहर है।”
⚖️ जनता में बढ़ा आक्रोश, प्रशासन पर सवाल
इस घटना ने बलौदा बाजार ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में “Chhattisgarh Police Brutality” को लेकर बहस छेड़ दी है। लोग पूछ रहे हैं कि पुलिस अभियान और मानवाधिकार के बीच की सीमाएं आखिर कौन तय करेगा?
स्थानीय लोगों का कहना है कि साधारण गश्त में भी पुलिस का रवैया डर पैदा करने वाला होता जा रहा है।
🎯 निष्कर्ष:
बलौदा बाजार की यह घटना छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान छोड़ गई है। प्रशासन ने जांच की बात कही है, पर जनता और कांग्रेस का दबाव बढ़ता जा रहा है कि पुलिस अत्याचार के मामलों में त्वरित कार्रवाई की जाए।
