रायपुर: छत्तीसगढ़ में आज आयोजित कलेक्टर-डीएफओ कॉन्फ्रेंस में राज्य के विभिन्न जिलों के कलेक्टरों और वन अधिकारियों ने वनों से आजीविका बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। बैठक में तेंदूपत्ता संग्राहकों के हितों की सुरक्षा, औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने और लघु वनोपजों के विपणन को सशक्त बनाने पर विशेष चर्चा की गई।
🌿 तेंदूपत्ता संग्राहकों को 7 से 15 दिनों में भुगतान सुनिश्चित करने के निर्देश
बैठक में निर्णय लिया गया कि तेंदूपत्ता संग्राहकों को संग्रहण के 7 से 15 दिनों के भीतर भुगतान किया जाना अनिवार्य होगा।
साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि भुगतान की जानकारी संग्राहक के मोबाइल पर SMS के माध्यम से भेजी जाए।
अधिकारियों ने बताया कि अब तक लगभग 15 लाख 60 हजार संग्राहकों की जानकारी ऑनलाइन दर्ज की जा चुकी है, और भविष्य में सभी भुगतान बैंक खातों के माध्यम से डिजिटल रूप में किए जाएंगे।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि तेंदूपत्ता संग्रहण की पूरी प्रक्रिया को कंप्यूटरीकृत किया जाए, ताकि पारदर्शिता और त्वरित भुगतान प्रणाली सुनिश्चित हो सके।

🪴 औषधीय पौधों की खेती को लेकर नई पहल
बैठक में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्यस्तरीय कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए।
धमतरी, मुंगेली और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिलों में इस दिशा में किए जा रहे प्रयोगों की जानकारी सभी डीएफओ को दी गई।
औषधीय पादप बोर्ड के सीईओ ने बताया कि औषधीय पौधों की खेती से ग्रामीणों को स्थायी आजीविका के साथ-साथ परंपरागत उपचार पद्धतियों का ज्ञान भी आगे बढ़ेगा।
उन्होंने सुझाव दिया कि इस दिशा में कृषि और उद्यानिकी विभाग के मैदानी अमले की सहायता लेकर प्रचार-प्रसार गतिविधियों को बढ़ाया जाए।
🌳 लघु वनोपज आधारित स्टार्टअप्स और वन धन केंद्रों पर बल
कलेक्टर-डीएफओ कॉन्फ्रेंस में यह भी निर्णय लिया गया कि लघु वनोपजों को वनांचल क्षेत्रों में आजीविका के मजबूत साधन के रूप में विकसित किया जाए।
बैठक में यह प्रस्ताव पारित हुआ कि वन धन केंद्रों को और अधिक सशक्त किया जाए तथा छत्तीसगढ़ हर्बल और संजीवनी ब्रांड के उत्पादों को ग्रामीण और शहरी बाजारों में व्यापक रूप से प्रमोट किया जाए।
अधिकारियों ने कहा कि इन उत्पादों का जैविक प्रमाणीकरण (organic certification) जल्द पूरा किया जाए ताकि इन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थान मिल सके।

💬 मानव-स्पर्श: वनांचल की नई उम्मीदें
बैठक के दौरान अधिकारियों ने साझा किया कि कैसे लघु वनोपज, तेंदूपत्ता और औषधीय पौधे न केवल ग्रामीणों की आय का साधन हैं बल्कि वन जीवन की आत्मा भी हैं।
एक संग्राहक प्रतिनिधि ने कहा — “अगर हमें समय पर भुगतान और बेहतर बाजार मिले, तो हम अपने बच्चों को भी बेहतर शिक्षा और जीवन दे सकते हैं।”
