FSSAI paneer adulteration नई दिल्ली: भारत की खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की हालिया राष्ट्रीय जांच ने देशभर में बिकने वाले पनीर को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। जांच में पाया गया कि देश के 83% पनीर सैंपल गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरते, जबकि लगभग 40% पनीर स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।
इस जांच में यह भी सामने आया कि कई नमूनों में पाम ऑयल, डिटर्जेंट, यूरिया और सिंथेटिक केमिकल का इस्तेमाल किया गया है ताकि पनीर का स्वाद और बनावट असली जैसी लगे।
⚖️ त्योहारों से पहले FSSAI की बड़ी कार्रवाई
नोएडा फूड सेफ्टी विभाग ने हाल ही में 550 किलो मिलावटी पनीर जब्त कर नष्ट कर दिया, जिससे त्योहारों से पहले लोगों में जागरूकता फैली है। FSSAI ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से इसे देश का “सबसे अधिक मिलावटी खाद्य पदार्थ” बताया और उपभोक्ताओं से सतर्क रहने की अपील की।
देशभर में फूड सेफ्टी अधिकारियों ने दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़, लखनऊ और गोरखपुर जैसे शहरों में छापेमारी कर टनभर मिलावटी पनीर बरामद किया। केवल उत्तर प्रदेश में ही 5,000 किलो से ज्यादा नकली पनीर नष्ट किया गया।
🧫 खतरनाक रसायनों से बढ़ा स्वास्थ्य जोखिम
विशेषज्ञों का कहना है कि मिलावटी पनीर सिर्फ एक खाद्य समस्या नहीं, बल्कि एक गंभीर स्वास्थ्य संकट है।
इसमें पाए जाने वाले यूरिया, फॉर्मलिन, डिटर्जेंट और सिंथेटिक फैट शरीर में जाकर किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं, पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं और लंबे समय में कैंसर का कारण बन सकते हैं।
डॉक्टरों के मुताबिक, त्योहारों के मौसम में डेयरी उत्पादों की मांग बढ़ने के चलते नकली पनीर बनाने वाले सक्रिय हो जाते हैं। “एनालॉग पनीर” नाम से बेचे जा रहे उत्पादों में दूध की जगह नॉन-डेयरी पदार्थ मिलाए जाते हैं, जो सीधे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं।
🧰 सरकार की सख्त कार्रवाई और आगे की योजना
FSSAI ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे अवैध डेयरी यूनिट्स पर निगरानी बढ़ाएं, बाजार में बिकने वाले हर पनीर उत्पाद का रैंडम टेस्ट करें और दोषियों के खिलाफ जेल की सजा और भारी जुर्माना लगाएं।
फूड सेफ्टी अधिकारियों ने कहा कि अब “क्वालिटी सर्टिफिकेट के बिना पनीर बेचना अपराध माना जाएगा।” इसके साथ ही जागरूकता अभियान, मोबाइल टेस्टिंग वैन और ऑनलाइन रिपोर्टिंग पोर्टल भी शुरू किए गए हैं।
💬 जनता और विशेषज्ञों की राय
फूड एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब समय आ गया है जब सरकार, उद्योग और उपभोक्ता तीनों को मिलकर ‘सुरक्षित खाद्य संस्कृति’ को अपनाना होगा। उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे सिर्फ FSSAI-लाइसेंस प्राप्त उत्पाद ही खरीदें और किसी भी संदिग्ध खाद्य सामग्री की शिकायत करें।
🧩 The Logical Indian का दृष्टिकोण
यह मामला सिर्फ मिलावट का नहीं, बल्कि खाद्य नैतिकता और जनस्वास्थ्य के प्रति जिम्मेदारी का है।
हर नागरिक का हक है कि उसे शुद्ध, सुरक्षित और पोषक आहार मिले। अब ज़रूरत है जागरूक उपभोक्ता, ईमानदार विक्रेता और सख्त प्रशासन की, ताकि भारत का हर घर मिलावट से मुक्त हो सके।
