जांजगीर-चांपा (छत्तीसगढ़), 12 अक्टूबर 2025।
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले से Police Brutality Chhattisgarh का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां इंसाफ की उम्मीद लेकर थाने पहुंचे एक परिवार को ही पुलिस ने पीट दिया। यह घटना 9 अक्टूबर की रात की बताई जा रही है, जिसने अब पूरे इलाके में आक्रोश फैला दिया है।
🚨 शिकायत दर्ज कराने गए, पुलिस ने कर दी पिटाई
पीड़ित परिवार के अनुसार, वे तोड़फोड़ की शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंचे थे। ड्यूटी पर मौजूद सब-इंस्पेक्टर (SI) और अन्य पुलिसकर्मियों ने उनके साथ अभद्र व्यवहार और गाली-गलौज की।
मामला बढ़ा तो पुलिसकर्मियों ने परिवार के सदस्यों की पिटाई कर दी। पीड़ितों का कहना है कि जब उन्होंने SP से मिलने की मांग की, तो पुलिस ने उन्हें जबरन थाने से बाहर धकेल दिया।
🕯️ SP बंगले के बाहर रातभर धरना
पुलिस की इस ज्यादती से आहत परिवार ने न्याय की मांग को लेकर रातभर पुलिस अधीक्षक (SP) विजय पांडेय के बंगले के बाहर धरना दिया।
परिवार ने मांग की कि दोषी पुलिसकर्मियों पर तत्काल कार्रवाई हो।
सुबह मामला SP के संज्ञान में आया, जिसके बाद पीड़ितों की शिकायत पर FIR दर्ज की गई।
⚖️ पीड़ित पर ही दर्ज कर दी गई FIR
मामले का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह रहा कि पुलिस ने उल्टे पीड़ित परिवार के बड़े भाई पर ही ‘शासकीय कार्य में बाधा’ का मामला दर्ज कर दिया।
इससे परिवार में गुस्सा और बढ़ गया। उन्होंने बताया कि उनके पास CCTV फुटेज है जो साबित कर सकता है कि गलती पुलिस की थी, न कि उनकी।
👮 SP ने जांच के दिए आदेश
घटना के बाद SP विजय पांडेय ने मामले की जांच के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि—
“जो भी पुलिसकर्मी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। किसी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।”
SP ने यह भी भरोसा दिलाया कि पूरी जांच पारदर्शी तरीके से होगी और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया जाएगा।
💔 न्याय की आस में भटक रहा परिवार
फिलहाल परिवार SP कार्यालय के चक्कर काट रहा है और CCTV फुटेज को सबूत के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है।
उनका कहना है कि जब तक दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं होती, वे पीछे नहीं हटेंगे।
परिवार की महिला सदस्य ने कहा —
“हम न्याय के लिए थाने गए थे, लेकिन हमें ही अपराधी बना दिया गया। अब बस न्याय चाहिए।”
🧩 स्थानीय लोगों में आक्रोश, मानवाधिकार संगठनों की नज़र
इस Police Brutality Chhattisgarh मामले ने स्थानीय समाज और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को भी झकझोर दिया है। कई संगठनों ने पुलिस सुधार और जवाबदेही की मांग की है।
लोगों का कहना है कि थाने को न्याय की जगह डर का प्रतीक नहीं बनना चाहिए।
🌐 निष्कर्ष:
Police Brutality Chhattisgarh की यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की है जो आम नागरिक के भरोसे पर टिकी है।
यह घटना फिर से याद दिलाती है कि पुलिस व्यवस्था में संवेदनशीलता, जवाबदेही और पारदर्शिता की आवश्यकता अब पहले से कहीं अधिक है।
