दारुल उलूम देवबंद ने अफगान मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के कार्यक्रम में महिला पत्रकारों को रोके जाने के आरोपों को बताया बेबुनियाद

नई दिल्ली, 12 अक्टूबर 2025 Darul Uloom Deoband denies women journalists ban।
अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के भारत दौरे को लेकर उठे विवाद के बीच दारुल उलूम देवबंद ने महिला पत्रकारों को कार्यक्रम से दूर रखने के आरोपों को “पूरी तरह बेबुनियाद” बताया है। संस्था ने स्पष्ट किया कि न तो अफगान मंत्री के कार्यालय से और न ही देवबंद प्रशासन की ओर से ऐसी कोई रोक लगाई गई थी।

देवबंद के प्रवक्ता और मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी ने कहा कि महिला पत्रकारों को कवर करने से रोका नहीं गया था। कार्यक्रम स्थल पर पुरुष और महिला पत्रकारों के लिए समान व्यवस्था की गई थी। वहां पर्दा या अलग सीटिंग जैसी कोई बात नहीं थी।”

🕌 कार्यक्रम रद्द, लेकिन उपस्थिति रही

अशरफ उस्मानी ने बताया कि शनिवार को देवबंद में आयोजित कार्यक्रम को भीड़ अधिक होने और सुरक्षा कारणों से अंतिम क्षण में रद्द करना पड़ा। उन्होंने कहा, “कार्यक्रम रद्द होने के बावजूद कुछ महिला पत्रकार मौजूद थीं, जिससे यह साबित होता है कि उन्हें दूर नहीं रखा गया।”

उन्होंने आगे कहा कि जब जिला प्रशासन ने भीड़ के कारण कार्यक्रम रद्द किया, तो अफगान मंत्री के गेस्ट हाउस में मीडिया से संक्षिप्त बातचीत कराई गई। “कई चैनलों की महिला रिपोर्टर मौजूद थीं, जो यह दिखाता है कि किसी तरह का भेदभाव नहीं हुआ,” उस्मानी ने कहा।

🗣️ “प्रचार और अफवाह”

देवबंद के प्रवक्ता ने साफ कहा कि सोशल मीडिया और कुछ रिपोर्टों में जो बातें कही जा रही हैं — जैसे महिला पत्रकारों को रोकना या उन्हें अलग बैठाना — वे अफवाह और प्रचार मात्र हैं। उन्होंने कहा कि अफगान मंत्री का कार्यक्रम पूरी तरह पारदर्शी था और मीडिया को पर्याप्त स्वतंत्रता दी गई थी।

🧕 जमीयत उलेमा-ए-हिंद का बयान

इस मामले पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी सफाई दी। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को दिल्ली में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिर्फ पुरुष पत्रकारों की मौजूदगी “एक संयोग” थी। “अफगान विदेश मंत्री ने महिला पत्रकारों को रोकने जैसा कोई निर्देश नहीं दिया था। यह गलतफहमी और प्रचार है,” मदनी ने कहा।

📰 विवाद की पृष्ठभूमि

दरअसल, शुक्रवार को नई दिल्ली में अफगान विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति पर विपक्षी दलों और मीडिया संगठनों ने आपत्ति जताई थी।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और इंडियन वूमन प्रेस कॉर्प्स (IWPC) ने इसे महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन बताया और कहा कि इसे “कूटनीतिक विशेषाधिकार” के नाम पर उचित नहीं ठहराया जा सकता।

इस विवाद के बीच देवबंद की सफाई ने स्पष्ट किया कि संस्था की ओर से किसी प्रकार की पाबंदी नहीं थी और महिला पत्रकारों को कवरेज की पूरी अनुमति दी गई थी।

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