Haryana youth missing in Russia Ukraine war: रूस-यूक्रेन युद्ध में अब हरियाणा के युवाओं के फंसने की खबरों ने पूरे प्रदेश में चिंता बढ़ा दी है। हिसार जिले के मदनहेड़ी गांव के 28 वर्षीय सोनू की मौत की आशंका जताई जा रही है, जबकि 24 वर्षीय अमन 22 सितंबर से लापता बताया जा रहा है। दोनों मई 2024 में रूस एक विदेशी भाषा का कोर्स करने गए थे।
परिवारों का कहना है कि उनके वीज़ा की अवधि अब समाप्त होने वाली थी और वे जल्द लौटने वाले थे, लेकिन 19 सितंबर को सोनू के परिवार को एक चौंकाने वाला संदेश मिला — जिसमें बताया गया कि सोनू लापता है और उसका शव मिल चुका है।
💬 परिवार का दर्द: “बेटा फंस गया है, बचा लो…”
अमन के भाई सुनील ने बताया कि 3 सितंबर को अमन ने घर फोन कर कहा था —
“हमें धोखे से रूसी सेना में भर्ती कराया जा रहा है और यूक्रेन में भेजने की तैयारी है। मैं नहीं जाना चाहता, प्लीज़ हमें बचा लो।”
सुनील के मुताबिक, इसके बाद 22 सितंबर को अमन ने एक वीडियो कॉल की और बताया कि उसे “सिक्योरिटी जॉब” के नाम पर रूसी आर्मी में भर्ती कर लिया गया है, और उसके बैंक खाते से पैसे भी निकाल लिए गए हैं। इसके बाद परिवार का उससे कोई संपर्क नहीं हुआ।
⚠️ रूस से आया संदेश: “शव लेने मॉस्को आओ”
सोनू के चाचा बिल्लू को 19 सितंबर को टेलीग्राम ऐप पर एक संदेश मिला, जो कथित तौर पर किसी रूसी अधिकारी की ओर से था। संदेश के मुताबिक, सोनू 6 सितंबर से लापता था और अब उसका शव मिल गया है।
संदेश में कहा गया कि रूस सरकार शव को केवल मॉस्को एयरपोर्ट तक भेजेगी। भारत लाने का खर्च परिवार को उठाना होगा, अन्यथा सोनू को लेनिनग्राद ओब्लास्ट में दफना दिया जाएगा।
🏛️ परिवार ने लगाई भारत सरकार से मदद की गुहार
दोनों परिवारों ने मामले की जानकारी गृह मंत्रालय (MHA) को दी है और विदेश मंत्रालय व भारतीय दूतावास से संपर्क किया है।
7 अक्टूबर को सोनू के चाचा को भारतीय दूतावास, मॉस्को से काउंसलर टाडु मामु की ओर से एक ईमेल प्राप्त हुआ, जिसमें बताया गया कि रूसी अधिकारियों ने अभी तक सोनू की मौत की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।

🌍 रूस-यूक्रेन युद्ध में भारतीय युवाओं की बढ़ती चिंता
पिछले कुछ महीनों में फतेहाबाद, रोहतक, अंबाला और सोनीपत के युवाओं के भी रूस में फंसने की खबरें सामने आई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बेरोजगारी और विदेशी नौकरी के लालच में कई युवा ऐसे जाल में फंस रहे हैं, जिनसे निकलना मुश्किल है।
परिवारों की एक ही गुहार है —
“हमारे बच्चों को किसी भी हाल में वापस लाया जाए।”
