Bareilly कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ FIR की मांग खारिज की, ‘वेल्थ डिस्ट्रीब्यूशन’ भाषण पर नहीं दिखी कोई भड़काऊ मंशा

बरेली, 8 अक्टूबर 2025 Rahul Gandhi wealth distribution speech FIR:
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के “वेल्थ डिस्ट्रीब्यूशन” (संपत्ति वितरण) वाले चुनावी भाषण पर दर्ज एफआईआर की मांग को लेकर दायर याचिका को बरेली की विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि राहुल गांधी के बयान से समाज में नफरत या वैमनस्य फैलाने का कोई इरादा नहीं दिखता।

यह आदेश अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश देवाशीष ने पारित किया, जिन्होंने 27 अगस्त 2024 को मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पहले ही एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया था।


क्या था मामला?

अखिल भारत हिंदू महासभा के कार्यकर्ता पंकज पाठक ने यह याचिका दाखिल की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान ऐसा भाषण दिया था जिससे “वर्गीय वैमनस्य” फैल सकता है और समाज में अमीर और गरीब के बीच नफरत पैदा हो सकती है।

याचिकाकर्ता का कहना था कि राहुल गांधी की “संपत्ति वितरण” की बात संविधान के अनुच्छेद 300A के तहत संपत्ति के अधिकारों का उल्लंघन करती है। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके भाषण का उद्देश्य देश में “सिविल वॉर” जैसी स्थिति बनाना था।


अदालत ने क्या कहा?

न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस जांच रिपोर्ट (दिनांक 9 अगस्त 2024) में यह पाया गया कि राहुल गांधी के बयान से कोई सार्वजनिक अशांति, शिकायत या विवाद उत्पन्न नहीं हुआ।
इसके अलावा, जिस स्थल पर भाषण हुआ, वहां मौजूद लोगों की पहचान भी नहीं हो सकी।

अदालत ने यह भी बताया कि शिकायतकर्ता ने खुद माना कि उन्होंने भाषण टीवी पर सुना था, न कि मौके पर मौजूद थे। इसलिए उनकी याचिका “अनुमान और व्यक्तिगत धारणा” पर आधारित थी।

जज ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी भी की —

“किसी बयान को इस आधार पर नहीं परखा जा सकता कि कोई अति-संवेदनशील व्यक्ति उसमें खतरा महसूस करे। बयान का मूल्यांकन एक समझदार और संतुलित व्यक्ति की दृष्टि से किया जाना चाहिए।”


चुनाव आयोग का क्षेत्राधिकार

अदालत ने यह भी कहा कि यदि भाषण चुनावी आचार संहिता (Model Code of Conduct) का उल्लंघन था, तो शिकायतकर्ता को मामला निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) के समक्ष रखना चाहिए था। अदालत ने स्पष्ट किया कि चुनावी भाषणों पर कार्रवाई का अधिकार आयोग के पास है, न कि दंड प्रक्रिया की अदालत के पास।


निष्कर्ष:

इस तरह, बरेली की विशेष अदालत ने साफ किया कि राहुल गांधी के भाषण में कोई अपराध नहीं बनता। अदालत ने याचिकाकर्ता की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में कोई संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) नहीं बनता है।

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