बिहार चुनाव 2025: नीतीश कुमार का आखिरी दांव! 25 साल बाद पहली बार अनिश्चितता में NDA का सबसे बड़ा चेहरा

पटना, 7 अक्टूबर 2025 Nitish Kumar Bihar Election :
बिहार की सियासत में बदलाव की आहट है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के लिए यह चुनाव शायद राजनीतिक जीवन का सबसे निर्णायक और संभवतः आखिरी चुनाव साबित हो सकता है।
25 साल से एनडीए (NDA) का चेहरा रहे नीतीश पहली बार ऐसे चुनाव में उतर रहे हैं, जहाँ उनके भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं — चाहे गठबंधन जीते या हारे।

1998 में एनडीए की नींव रखे जाने के बाद से अब तक हुए चार विधानसभा चुनावों (फरवरी 2005, अक्टूबर-नवंबर 2005, 2010, और 2020) में नीतीश लगातार एनडीए के मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे हैं।
यहां तक कि जब उन्होंने 2015 में आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, तब भी गठबंधन का चेहरा वही थे।

राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बावजूद नीतीश की लोकप्रियता का ग्राफ कभी पूरी तरह नहीं गिरा। उनकी कुर्मी जाति बिहार की आबादी का महज 3% हिस्सा है, फिर भी उन्होंने जातीय समीकरणों से परे एक बड़ा सामाजिक संतुलन कायम किया। उन्होंने ‘सामाजिक इंजीनियरिंग’ की ऐसी मिसाल पेश की, जिसमें अगड़ी जातियों की नाराजगी, गैर-यादव पिछड़ों की असंतोष भावना और आरजेडी राज के खिलाफ जनता की नाराजगी — सबको एकजुट किया।

एक इंजीनियर से राजनेता बने नीतीश ने बिहार को ‘जंगलराज’ से विकास की पटरी पर लाने का श्रेय हासिल किया। उनके शासन में बिजली, सड़क, कानून व्यवस्था, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में राज्य ने बड़ी प्रगति की।
हालांकि, औद्योगिक निवेश और रोजगार के मोर्चे पर बिहार अब भी पिछड़ा हुआ है — यह वही मुद्दे हैं जिन पर आरजेडी और प्रशांत किशोर जैसे नए चेहरे युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं।

नीतीश के “पलटू कुमार” वाले उपनाम ने उनके राजनीतिक करियर में हास्य और विवाद दोनों जोड़े हैं — 2013 में मोदी से अलग होना, 2015 में लालू के साथ जाना, 2017 में फिर एनडीए में लौटना और 2022 में फिर से महागठबंधन से जुड़ना।
2024 लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने एक बार फिर भाजपा का दामन थामा।

अब 2025 का विधानसभा चुनाव उनके राजनीतिक सफर का आखिरी रण साबित हो सकता है।
उनकी पार्टी जेडीयू (JDU) और एनडीए पूरी ताकत से चुनावी मैदान में है, वहीं विपक्ष आरजेडी और इंडिया गठबंधन के साथ बेरोजगारी और विकास को मुख्य मुद्दा बना रहा है।

बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नीतीश कुमार इस बार पीछे नहीं हटने वाले —
लेकिन सवाल यही है कि क्या “विकास पुरुष” की पहचान उन्हें एक बार फिर जीत दिला पाएगी?

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