दुर्ग (छत्तीसगढ़)। प्रदेश सरकार द्वारा 21 अप्रैल से शराब दुकान खोले जाने की तैयारी किए जाने पर सांसद विजय बघेल ने कड़ी आपत्ति जताई है। सांसद विजय बघेल ने कहा कि व्यक्ति से व्यक्ति में कोरोना का संक्रमण फैलता है और सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाकर ही इस बीमारी के संक्रमण को रोका जा सकता है लेकिन प्रदेश सरकार राजस्व कमाने की होड़ में लोगों की जान से खिलवाड़ करने से भी पीछे नहीं हट रही है। शराब दुकानों को खोले जाने से सोशल डिस्टेंसिंग जैसे अनिवार्य कदम की धज्जियां उड़ जाएगी और कोरोना वायरस संक्रमण के गहराने की संभावना बढ़ेगी। प्रदेश सरकार अपने शराबप्रेम के चलते संवेदनहीन हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 21 अप्रैल से शराब दुकान खोलने की तैयारी कर रही है जबकि लॉक डाउन की अवधि 3 मई तक है। लॉक डाउन के दौरान शराब दुकान खोले जाने से लॉक डाउन का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा। प्रदेश सरकार की नजर में लोगों की जान से ज्यादा शराब से मिलने वाले राजस्व का महत्व है। प्रदेश सरकार की तत्परता शराब दुकान खोलने में दिखा रही है यदि उतनी ही तत्परता से स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करती तो प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज कोरोना से लड़ने में सक्षम हो जाते और एम्स रायपुर पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता। इसी से यह पता चल जाता है कि प्रदेश सरकार की प्राथमिकता जन सुविधायें देने की बजाए नशाखोरी करवाने की ज्यादा है।
सांसद विजय बघेल ने कहा कि विगत 21 दिनों के लॉक डाउन में शराब दुकानों के बंद रहने से परिवारों में शांति का माहौल है, महिलाएं और बच्चे प्रसन्न है, घर मे सौहार्द्र का माहौल है, गंभीर आपराधिक मामलों में कमी आई है साथ ही जनस्वास्थ्य का स्तर भी बढ़ रहा है लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा शराबबंदी को जारी रखने की बजाय बिक्री करने करने से लॉक डाउन में परिवारों में आपसी लड़ाई झगड़े बढ़ेंगे, सामाजिक शांति और सोशल डिस्टेंसिंग भंग होगी और अपराधिक मामले भी बढ़ेंगे जिसके कारण शराबियों के परिजनों, पुलिस प्रशासन और स्वास्थ्य कर्मियों को बहुत ज्यादा तकलीफों का सामना करना पड़ेगा। लॉक डाउन की बढ़ी हुई अवधि 3 मई तक शराब दुकानें पूरी तरह से बंद रहनी चाहिए और इसके बाद भी शराबबंदी को प्रदेश में कठोरता के साथ लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि शराब दुकानों में बिक्री करने की योजना से बेरीकेटिंग करवाई गई है, जिसके लिए पूरे प्रदेश में लाखों रुपए खर्च किए गए हैं और बेरीकेटिंग को तैयार करते समय मजदूरों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं किया गया है। बेरीकेटिंग पर अनावश्यक खर्च करके जनता के धन की बर्बादी की गई है, जिसकी वसूली व्यक्तिगत रूप से अधिकारियों से की जानी चाहिए।
सांसद विजय बघेल ने आरोप लगाया है कि सत्ता में आने के पहले कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र जारी करते समय गंगाजल की सौगंध लेकर पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद डेढ़ वर्ष में प्रदेश सरकार ने ऐसा एक भी कदम नहीं उठाया है जिससे यह प्रकट हो कि वह शराबबंदी की गंगाजल की शपथ पूरी करने के लिए प्रतिबद्ध है। कोरोना संकटकाल में शराब बेचे जाने जैसा कदम उठाया जाना कांग्रेस सरकार की वादाखिलाफी और गलत नीयत को स्पष्ट करता है। शराबबंदी पर गंगाजल की झूठी कसम लेकर कांग्रेस ने प्रदेश की धर्मपरायण जनता की भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ किया है।