Supreme Court shoe attack on Chief Justice BR Gavai: नई दिल्ली, 6 अक्टूबर 2025 — भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सोमवार को एक चौंकाने वाली घटना हुई जब एक वकील ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी.आर. गवई (CJI BR Gavai) पर सुनवाई के दौरान जूता फेंकने की कोशिश की।
घटना से ठीक पहले कोर्ट में एक नियमित सुनवाई चल रही थी। तभी आरोपी वकील ने अचानक अपनी चप्पल निकालकर चीफ जस्टिस की ओर फेंकी और जोर से चिल्लाया —
“भारत सनातन धर्म का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा!”
🧑⚖️ चीफ जस्टिस ने दिखाई शांति
जूता जस्टिस विनोद चंद्रन के पास से गुज़रा, जिन्हें वह लगभग लग गया था। आरोपी को तुरंत सुरक्षा कर्मियों ने पकड़ लिया और कोर्ट से बाहर ले जाया गया।
हालांकि, मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने पूर्ण संयम दिखाया और कोर्ट की कार्यवाही बिना रुके जारी रखी।
“इन चीज़ों से विचलित मत होइए। ये घटनाएँ मुझे प्रभावित नहीं करतीं। सुनवाई जारी रखें,”
चीफ जस्टिस ने वकीलों से कहा।
घटना के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सचिव जनरल और सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक की और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की।
👨💼 आरोपी वकील की पहचान और कारण
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आरोपी वकील का नाम राकेश किशोर है, जो 2011 से सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य हैं।
उनका कहना था कि यह कदम चीफ जस्टिस गवई के “देवता से जाकर पूछो” वाले बयान के विरोध में उठाया गया।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रोहित पांडेय ने कहा —
“यह घटना न्यायपालिका के सम्मान पर हमला है। मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूँ और अनुरोध करता हूँ कि आरोपी पर सख्त कार्रवाई हो।”
दिन में बाद में, दिल्ली पुलिस ने राकेश किशोर को कोर्ट परिसर में ही रिहा कर दिया।
🕉️ पिछला विवाद: “देवता से जाकर पूछो” remark
सितंबर में मध्यप्रदेश के जवारी मंदिर में विष्णु प्रतिमा की पुनर्स्थापना से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए, चीफ जस्टिस गवई ने याचिकाकर्ता से कहा था —
“यह पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन है। जाओ, खुद देवता से कहो कि कुछ करें। आप विष्णु भक्त हैं, तो अब प्रार्थना करें।”
इस टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर व्यापक आलोचना हुई थी। इसके बाद CJI गवई ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया है और वह “सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।”
🚨 न्यायपालिका में सुरक्षा पर सवाल
यह घटना न केवल सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में अभूतपूर्व है, बल्कि न्यायिक सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल उठाती है। कोर्ट सूत्रों के अनुसार, अब सुरक्षा प्रोटोकॉल की पुनर्समीक्षा की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न हो।
