यरुशलम/तेल अवीव। गाज़ा पट्टी के लिए मानवीय मदद लेकर निकली नौकाओं के बेड़े (फ्लोटिला) को बुधवार को इज़राइली नौसेना ने रोक लिया। इस दौरान नौकाओं पर सवार कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया गया। हिरासत में लिए गए लोगों में स्वीडन की मशहूर क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबर्ग भी शामिल हैं।
इज़राइल के विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में पुष्टि की कि उन्होंने “हमास-सुमूद फ्लोटिला” की कई नावों को रोका है और सभी यात्रियों को सुरक्षित रूप से इज़राइली बंदरगाह पर लाया जा रहा है। मंत्रालय ने कहा, “ग्रेटा और उनके साथ मौजूद लोग सुरक्षित और स्वस्थ हैं।”
इज़राइल का दावा है कि यह फ्लोटिला वास्तव में मानवीय मदद नहीं बल्कि “उकसावे” (provocation) का प्रयास था। मंत्रालय ने लिखा, “फ्लोटिला को पहले ही सूचित किया गया था कि वह एक सक्रिय युद्ध क्षेत्र में घुसने और वैध नौसैनिक नाकाबंदी का उल्लंघन करने की कोशिश कर रही है। हमने उन्हें कई बार शांतिपूर्ण तरीके से मदद पहुँचाने का विकल्प दिया, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया।”
सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में देखा गया कि इज़राइली सैनिक नौका पर मौजूद ग्रेटा थुनबर्ग को पानी और जैकेट दे रहे हैं। वहीं, आयोजकों का आरोप है कि फ्लोटिला की कुछ नौकाओं को जानबूझकर टक्कर मारी गई और उन पर पानी की बौछारें भी छोड़ी गईं।
ग्लोबल सुमूद फ्लोटिला (GSF) ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए इसे “गैरकानूनी और बेताब कदम” बताया। उनके अनुसार, यह रोकथाम गाज़ा को भूखा और अलग-थलग रखने की साजिश है। बयान में लिखा गया, “यह दर्शाता है कि इज़राइल किसी भी हद तक जाएगा ताकि गाज़ा तक मानवीय मदद न पहुँच सके। यह एक शांतिपूर्ण नागरिक मिशन था, जिस पर हमला किया गया।”
लगभग दो साल से युद्ध की आग झेल रहे गाज़ा को अब तक के सबसे गंभीर मानवीय संकटों में से एक माना जा रहा है। ऐसे में, ग्रेटा थुनबर्ग जैसी वैश्विक शख्सियत का इस मिशन में शामिल होना इस घटनाक्रम को और भी अहम बना देता है।
