रायपुर, 30 सितंबर 2025। प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे इलेक्ट्रिक वाहन (ई-व्हीकल) अब पुलिस और प्रशासन के लिए नई चुनौती बनते जा रहे हैं। रायपुर शहर में 25 हजार से अधिक ई-व्हीकल हैं, जबकि पूरे प्रदेश में इनकी संख्या लाखों में पहुंच चुकी है।
पुलिस का कहना है कि इन वाहनों की ग्रीन नंबर प्लेट पुराने सीसीटीवी और आईटीएमएस कैमरों में स्पष्ट नहीं दिखती, जिससे अपराधियों का पता लगाने में मुश्किल होती है। पुराने कैमरे ग्रीन प्लेट के अंकों को 25 फीट की दूरी से पढ़ नहीं पा रहे हैं, जबकि सामान्य वाहनों की संख्या 40 फीट से रिकॉर्ड हो जाती है।
पुलिस की चिंता और खर्च का मुद्दा
पुलिस ने बताया कि अगर अपराध में ई-व्हीकल का इस्तेमाल किया गया तो आरोपियों की पहचान और लोकेशन ट्रेस करना मुश्किल होगा। वर्तमान में शहर में 1400 कैमरे हैं, जिनमें से 400 एआई आधारित हैं। इसके अलावा 3500 निजी कैमरों पर भी पुलिस नजर रखती है।
हालांकि, आधुनिक कैमरों को लगाने का प्रस्ताव सामने आया है, लेकिन इसके लिए लगभग 150 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इस राशि का खर्च शासन-प्रशासन के लिए आसान नहीं है।

नए समाधान की आवश्यकता
आईटी एक्सपर्ट मोहित साहू और रंजीत रंजन के अनुसार, नम्बर प्लेट की लेजीबिलिटी और कंस्ट्रास्ट की वजह से कैमरों में रिकॉर्डिंग फेल हो रही है। रायपुर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जुड़े विशेषज्ञों ने भी इस समस्या की पुष्टि की है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो न केवल अपराधियों को पकड़ना कठिन होगा बल्कि राज्य को हर माह लाखों रुपये का राजस्व नुकसान भी होगा। रोड सेफ्टी एजेंसी के चेयरमेन संजय शर्मा ने चेतावनी दी कि ग्रीन नंबर प्लेट सुरक्षा के लिहाज से घातक साबित हो सकती है।
पुलिस ने परिवहन आयुक्त को पत्र लिखकर नम्बर प्लेट में बदलाव का सुझाव भी दिया है, ताकि अपराध नियंत्रण और राजस्व सुरक्षा दोनों सुनिश्चित हो सकें।
