बालोद, 26 सितंबर 2025: कभी पानी की कमी और गिरते भूजल स्तर के कारण क्रिटिकल व सेमी-क्रिटिकल जोन में गिना जाने वाला छत्तीसगढ़ का बालोद जिला अब पूरे देश में जल संरक्षण का नया मॉडल बनकर उभरा है। केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा कराए गए आकलन में बालोद को जल संचयन जन भागीदारी अभियान (JSJB 1.0) के तहत बेस्ट परफॉर्मिंग जिला घोषित किया गया है। इस उपलब्धि पर बालोद को केंद्र से 2 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
जन भागीदारी से बदली तस्वीर
कलेक्टर दिव्या उमेश मिश्रा ने इस सफलता को “टीम वर्क और जन सहयोग” का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि जिले के हजारों ग्रामीणों ने जल संचयन कार्यों में सक्रिय भागीदारी की। इसका नतीजा यह हुआ कि आज बालोद का नाम राष्ट्रीय स्तर पर जल संरक्षण के क्षेत्र में मिसाल के रूप में लिया जा रहा है।
बालोद की उपलब्धियां (आंकड़ों में):
- 1,06,677 नई जल संरचनाएं निर्मित की गईं।
- 30,849 पुराने जल स्रोतों की सफाई व मरम्मत हुई।
- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 10,000 वाटर रिचार्ज पिट बनाए गए।
- वन क्षेत्र में 3.88 लाख पौधारोपण किया गया।
- ग्रामीणों ने प्रेरित होकर स्वयं 27,000 से अधिक सोकपिट संरचनाएं बनाईं।
- 1,09,273 स्टेगर्ड कंटूर ट्रेंच तैयार किए गए।
- 140 अमृत सरोवर, 1,944 सामुदायिक तालाब, 6,160 निजी तालाब और सैकड़ों स्टॉप डेम, चेक डेम, कुएं व अन्य संरचनाएं बनाई गईं।
क्यों खास है यह उपलब्धि?
जहां कभी बालोद जल संकट का प्रतीक माना जाता था, वहीं अब यह जिला जल संरक्षण और जनसहभागिता का आदर्श बन गया है। यहां के प्रयासों ने दिखा दिया कि यदि जनभागीदारी, प्रशासनिक इच्छाशक्ति और वैज्ञानिक योजना मिलकर काम करें तो जल संकट जैसी गंभीर समस्या पर भी विजय पाई जा सकती है।
यह उपलब्धि न केवल बालोद बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है, क्योंकि इससे राज्य की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर जल संरक्षण की दिशा में मजबूत हुई है।
