देशभर में “I Love Muhammad” विवाद ने तनाव का माहौल बना दिया है। उत्तर प्रदेश के कानपुर से शुरू हुआ यह मामला अब कर्नाटक और गुजरात तक पहुँच गया है, जहाँ पथराव और हिंसा की घटनाएँ दर्ज हुईं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में ले लिया है, लेकिन यह विवाद अब राजनीतिक रंग भी लेने लगा है।
विवाद की शुरुआत
4 सितंबर को कानपुर के रावतपुर गाँव में बरावफात जुलूस के दौरान एक लाइट बोर्ड लगाया गया, जिस पर लिखा था – “I Love Muhammad”। इस पर स्थानीय हिंदू संगठनों ने आपत्ति जताई और कहा कि यह एक “नई परंपरा” है, क्योंकि यह मार्ग आमतौर पर राम नवमी जैसे हिन्दू आयोजनों के लिए प्रयोग होता है। यहीं से विवाद ने तूल पकड़ना शुरू किया।
कर्नाटक में बैनर विवाद
कर्नाटक के दावणगेरे जिले के कार्ल मार्क्स नगर में इसी तरह का बैनर लगाया गया। दूसरी ओर के युवाओं ने इसे हटाने की मांग की। पुलिस अधीक्षक उमा प्रशनाथ ने बताया कि –
“लोग इकट्ठे हो गए थे, लेकिन पुलिस ने तुरंत पहुँचकर स्थिति नियंत्रित की और बैनर हटा दिया गया। अब शांति है।”
हालाँकि, कुछ जगहों पर पथराव की खबरें आईं जिनकी जाँच की जा रही है।
गुजरात में हिंसा और पथराव
गुजरात के गांधीनगर जिले के बहियाल गाँव में बुधवार रात स्थिति बिगड़ गई। पुलिस के अनुसार, एक हिंदू युवक द्वारा “I Love Muhammad” ट्रेंड पर की गई सोशल मीडिया पोस्ट से नाराज़ होकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भड़क उठे।
उन्होंने दुकानों के शटर तोड़े, सामान जलाया और वाहनों को नुकसान पहुँचाया। इसके बाद दोनों समुदायों के बीच पथराव हुआ। पुलिस ने 60 लोगों को हिरासत में लिया है। चार दुकानें और पाँच से छह वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं।
सोशल मीडिया पर अभियान
इस बीच सोशल मीडिया पर #ILoveMuhammad हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। हजारों लोग प्रोफाइल फोटो बदलकर और स्लोगन साझा कर समर्थन जता रहे हैं।
नेताओं की प्रतिक्रियाएँ
- असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM):
“‘I Love Muhammad’ कहना अपराध नहीं है। संविधान का अनुच्छेद 25 हर धर्म को मानने और व्यक्त करने की स्वतंत्रता देता है।”
- महबूबा मुफ़्ती (PDP प्रमुख):
“बीजेपी केवल हिंदू–मुस्लिम कार्ड खेलकर वोट लेती है। यदि ‘जय श्री राम’ जबरन कहलवाना अपराध नहीं, तो ‘I Love Muhammad’ कहना अपराध कैसे?”
- उमर अब्दुल्ला (पूर्व J&K CM):
“इन तीन शब्दों से किसी को दिक्कत क्यों? इसे गैरकानूनी कैसे कहा जा सकता है? अदालत को इसे तुरंत स्पष्ट करना चाहिए।”
माहौल और सवाल
भिलाई, दुर्ग और देश के अन्य हिस्सों की तरह, इस विवाद ने लोगों में डर और असमंजस पैदा कर दिया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि धार्मिक नारों को राजनीतिक हथियार बनाने की प्रवृत्ति देश की सांप्रदायिक सौहार्द पर गहरा असर डाल सकती है।
