व्हाइट हाउस में ट्रंप और शहबाज़ शरीफ़ की मुलाक़ात: रिश्तों में आ रहा है नया मोड़

वॉशिंगटन डीसी: अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में लंबे समय से चली आ रही तल्ख़ी अब धीरे-धीरे पिघलती दिख रही है। गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ और सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर से व्हाइट हाउस में मुलाक़ात की।

इस मुलाक़ात को लेकर अमेरिकी मीडिया और विशेषज्ञों ने इसे रिश्तों में पिघलन के रूप में देखा है। बैठक से पहले ट्रंप ने दोनों नेताओं को “ग्रेट लीडर्स” कहा और उन्हें व्हाइट हाउस में गर्मजोशी से स्वागत किया।

क्यों अहम है यह मुलाक़ात

पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते लंबे समय तक अविश्वास की खाई में फंसे रहे। ट्रंप ने 2018 में पाकिस्तान को “लाइज़ एंड डीसीट” यानी “झूठ और धोखे” देने वाला देश बताया था, क्योंकि ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी फौज ने पाकिस्तान में ही मार गिराया था।

लेकिन अब हालात बदलते नज़र आ रहे हैं। दरअसल, पाकिस्तान अमेरिका को महत्वपूर्ण खनिज (critical minerals) और रेयर अर्थ एलिमेंट्स सप्लाई करने जा रहा है। इस समझौते के तहत एक अमेरिकी कंपनी पाकिस्तान के खनिज क्षेत्र में 500 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी। साथ ही दोनों देशों के बीच तेल और ऊर्जा सेक्टर में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी है।

मुलाक़ात की झलकियाँ

  • पीएम शहबाज़ शरीफ़ 4:52 बजे व्हाइट हाउस पहुँचे, जबकि उनका काफ़िला 6:18 बजे बाहर निकलते देखा गया।
  • असीम मुनीर को ट्रंप ने “ए ग्रेट गाय” कहकर संबोधित किया।
  • समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दोनों पाकिस्तानी नेताओं को ट्रंप से मिलने से पहले लगभग एक घंटा इंतज़ार करना पड़ा। हालांकि इस दावे की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो पाई।
  • बैठक से पहले ही ट्रंप कुछ कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर कर रहे थे और पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

पृष्ठभूमि और आगे का रास्ता

अमेरिका ने पाकिस्तान को हमेशा रणनीतिक सुरक्षा सहयोगी के रूप में देखा, चाहे सोवियत संघ के अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़े के समय हो या फिर “वार ऑन टेरर” में। लेकिन पाकिस्तान की आतंकवाद पर दोहरी नीति ने रिश्तों को कड़वा बना दिया।

अब पाकिस्तान अपनी खनिज संपदा और तेल भंडार के ज़रिए अमेरिका को नए अवसर दे रहा है। सितंबर में शहबाज़ शरीफ़ के आवास पर हुए एक समझौते ने इस नए दौर की नींव रखी।

अमेरिका-पाकिस्तान के बीच व्यापार 2024 में 10.1 अरब डॉलर तक पहुँच गया है, जिसमें अमेरिकी निर्यात और आयात दोनों में वृद्धि दर्ज की गई।

विशेषज्ञ मानते हैं कि हालिया भारत-पाक सैन्य टकराव के बाद वॉशिंगटन ने इस्लामाबाद को लेकर अपने स्वर को थोड़ा नरम किया है। ट्रंप ने हाल ही में यह दावा भी किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम में उनकी भूमिका रही, हालांकि भारत ने इसे हमेशा नकारा है।

निष्कर्ष

व्हाइट हाउस की यह मुलाक़ात न सिर्फ़ पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक जीत है बल्कि अमेरिका के लिए भी एक रणनीतिक अवसर है। आने वाले महीनों में दोनों देशों के रिश्तों का नया अध्याय लिखे जाने की संभावना है, जिसमें व्यापार और ऊर्जा सहयोग सबसे अहम आधार होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *