बिलासपुर, 24 सितंबर 2025।
छत्तीसगढ़ के समाज कल्याण विभाग से जुड़े 1000 करोड़ रुपये के कथित एनजीओ घोटाले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने बुधवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अदालत ने इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने का आदेश दिया है।
जस्टिस पीपी साहू और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की खंडपीठ ने 2018 से लंबित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह “गंभीर और संगठित अपराध” है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इतनी जटिल जांच स्थानीय एजेंसियों या पुलिस के बूते की नहीं है, इसलिए सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी ही निष्पक्ष जांच कर सकती है।
यह है मामला
यह घोटाला राज्य स्त्रोत नि:शक्तजन संस्थान से जुड़ा है, जहां कथित रूप से फर्जी एनजीओ बनाकर सरकारी योजनाओं के करोड़ों रुपये हड़पे गए। विशेष ऑडिट रिपोर्ट में 31 प्रकार की वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ। इनमें बिना अनुमति अग्रिम निकासी, कागज़ी अस्पताल दिखाकर खर्च, काल्पनिक मशीनों और कर्मचारियों की खरीद, गायब वाउचर, मनमाने ट्रांसफर और कैशबुक से मेल न खाने वाले हिसाब जैसी गड़बड़ियां सामने आईं।
शुरुआती जांच में 5.67 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई थी, लेकिन दस्तावेज़ों और गवाहों से सामने आया कि असली नुकसान 1000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ने अदालत में सबूत पेश करते हुए आरोप लगाया कि यह संस्थान शुरुआत से ही घोटाले के लिए गढ़ा गया था।
वरिष्ठ IAS अफसरों की संलिप्तता
इस घोटाले में राज्य के 11 वरिष्ठ IAS अधिकारियों और कई अन्य अफसरों के नाम सामने आए हैं। इनमें पूर्व मुख्य सचिव आलोक शुक्ला, विवेक ढांड, एमके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल, पीपी सोती जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इनके अलावा राजेश तिवारी, सतीश पांडेय, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा भी फंसे हैं।
इनमें से कई अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल कर सीबीआई जांच पर रोक लगाने की कोशिश की थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज कर मामला हाईकोर्ट को वापस भेज दिया।
सीबीआई को मिले सख्त निर्देश
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि सीबीआई 15 दिनों के भीतर सभी विभागीय रिकॉर्ड सुरक्षित करे और एफआईआर दर्ज होने की तारीख से सभी मूल दस्तावेज ज़ब्त करे। अदालत ने सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। साथ ही, पूर्व मुख्य सचिव अजय सिंह को जांच कमेटी गठित कर रिपोर्ट सौंपने का पूर्व आदेश भी यथावत रहेगा।
जनता में उम्मीद की किरण
इस आदेश के बाद राज्य में आम जनता और सामाजिक संगठनों में उम्मीद जगी है कि वर्षों से दबा यह मामला अब निष्पक्ष जांच के दायरे में आएगा और दोषियों को सज़ा मिलेगी।
