नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की स्वास्थ्य नीतियों ने अब केवल कल्याणकारी दृष्टिकोण को पार कर “विकसित भारत 2047” की दिशा में एक मजबूत रणनीति का रूप ले लिया है। मोदी सरकार स्वास्थ्य को खर्च नहीं बल्कि निवेश के रूप में देख रही है, जिससे बीमारियों का बोझ कम होता है, परिवार की बचत सुरक्षित रहती है और मानव पूंजी — देश की सच्ची आर्थिक शक्ति — का विकास होता है।
प्रधानमंत्री मोदी का स्वास्थ्य क्षेत्र में गहरा अनुभव गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए सामने आया। वहां उन्होंने 108 इमरजेंसी एम्बुलेंस सेवा शुरू की, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में त्वरित चिकित्सीय सहायता उपलब्ध हुई। इसके साथ ही POSHAN योजना के माध्यम से आदिवासी और ग्रामीण बच्चों में पोषण और माइक्रोन्यूट्रिएंट की कमी को दूर किया गया। इससे न केवल बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ, बल्कि उनके सीखने के परिणामों में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
ये पहल साबित करती हैं कि रोकथाम में निवेश लंबे समय में उत्पादकता और समृद्धि दोनों के लिए लाभकारी होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी सरकार की स्वास्थ्य नीतियों का यह दृष्टिकोण न केवल सामाजिक कल्याण बढ़ाता है, बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाता है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में मोदी की ये पहल दिखाती हैं कि सटीक योजना, समय पर क्रियान्वयन और तकनीकी नवाचार से समाज के हर वर्ग तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जा सकती हैं। इस दृष्टिकोण से भारत 2047 तक विकसित और स्वस्थ राष्ट्र बनने की राह पर अग्रसर है।
