बिलासपुर। प्रदेश की बदहाल सड़कों को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शासन और एनएचएआई अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि सड़क निर्माण के नाम पर केवल कागजों में रिपोर्ट देने से काम नहीं चलेगा, सुधार ज़मीन पर दिखना चाहिए। तकनीकी जांच, टेंडर और वर्क ऑर्डर में समय बरबाद करना जनता के साथ धोखा है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाईवे (एनएच 90) की दुर्दशा पर गंभीर सवाल उठाए गए। कोर्ट ने पूछा कि आखिर सड़क कब तक सुधारी जाएगी। एनएचएआई की चुप्पी पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि शपथ पत्र देने से जिम्मेदारी खत्म नहीं होती।
शासन की सफाई
सरकार ने कोर्ट में जवाब दिया कि रतनपुर-सेंदरी रोड का काम लगभग पूरा हो गया है, जबकि रायपुर रोड 70 प्रतिशत बन चुकी है और अगले 15 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। वहीं एनएचएआई की ओर से कहा गया कि तुर्काडीह, सेंदरी, रानीगांव, मलनाडीह और बेलतरा में पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए फुट ओवरब्रिज बनाए जा रहे हैं। पहले इसकी लागत 17.95 करोड़ थी, जो घटकर 11.38 करोड़ हो गई है।
पीडब्ल्यूडी और पावर प्लांट्स पर सवाल
हाईकोर्ट ने बिलासपुर की पेंड्रीडीह से नेहरू चौक तक की सड़क को लेकर भी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि अप्रैल में स्वीकृति के बावजूद आज तक कोई प्रगति नहीं हुई है। इसी तरह रायपुर के धनेली एयरपोर्ट रोड का काम भी अधूरा है। कोर्ट ने पावर प्लांटों की राख से सड़कों की हालत बिगड़ने पर भी चिंता जताई और इस पर मुख्य सचिव से जवाब मांगा।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि अब केवल आश्वासन और कागजी कार्रवाई से काम नहीं चलेगा। सड़कों के सुधार की वास्तविक तस्वीर ज़मीन पर दिखनी चाहिए, वरना जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
