न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण में भारत का दो अहम संदर्भों में उल्लेख किया। लगभग एक घंटे के संबोधन में उन्होंने दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध रोका और इसके लिए वे कई बार की तरह एक बार फिर नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं। हालांकि भारत का पक्ष यह रहा है कि पाकिस्तान के आग्रह पर ऑपरेशन सिंदूर रोका गया था, न कि अमेरिकी दबाव में।
ट्रंप ने अपने भाषण में दूसरा और ज्यादा तीखा हमला रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर किया। उन्होंने कहा, “भारत और चीन, रूस से तेल खरीदकर इस युद्ध को फंड कर रहे हैं।” ट्रंप ने यूरोपीय देशों से भी अपील की कि वे रूस और उसके तेल खरीददारों पर कड़े प्रतिबंध लगाएं। उनका कहना था कि यह खरीदारी “पुतिन की युद्ध मशीन को ईंधन दे रही है।”
उन्होंने हाल ही में भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाकर कुल शुल्क 50% कर दिया था। इसका मकसद नई दिल्ली पर दबाव डालना था कि वह मास्को से तेल की डील बंद करे। लेकिन भारत का तर्क है कि वह अपनी ऊर्जा ज़रूरतें और बेहतर कीमतों के लिए यह खरीद जारी रखेगा।
इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी कहा कि भारत के साथ बातचीत में “काफी प्रगति” हो रही है, लेकिन रूस से तेल खरीद रोकना ही मुख्य मुद्दा है।
ट्रंप के सुर में यह बदलाव तब आया है जब हाल ही में उनके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच रिश्तों में नरमी और गर्मजोशी दिखाई दी थी। मोदी को जन्मदिन पर बधाई देने से लेकर “मेरे अच्छे दोस्त मोदी” कहने तक, ट्रंप ने मैत्रीपूर्ण भाषा का इस्तेमाल किया था। मगर अब यूएनजीए में उनका बयान भारत के लिए असहज करने वाला साबित हुआ है।
कांग्रेस नेता और पूर्व राजनयिक शशि थरूर ने इसे ट्रंप की “अनिश्चित और बदलती हुई प्रवृत्ति” बताया। उनका कहना है, “जो व्यक्ति दावा करता है कि वह ट्रंप को पूरी तरह समझ सकता है या उनकी अगली चाल का अनुमान लगा सकता है, वह अभी पैदा नहीं हुआ है।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत पहले से ही एच-1बी वीजा फीस 1 लाख डॉलर किए जाने जैसे फैसलों का दबाव झेल रहा है।
