सैन फ्रांसिस्को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर शुक्रवार सुबह एक असामान्य दृश्य देखने को मिला। भारत जा रही एमिरेट्स की फ्लाइट के यात्री अचानक घबराकर विमान से उतरने लगे। इसकी वजह थी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से H-1B वर्कर वीज़ा पर 1 लाख डॉलर आवेदन शुल्क लगाने की घोषणा।
विमान में मौजूद यात्रियों ने सोशल मीडिया पर जो वीडियो साझा किए, उनमें लोग सीटों से उठकर खड़े दिखाई दे रहे हैं। कोई मोबाइल पर लगातार अपडेट देख रहा था, तो कोई घबराहट में इधर-उधर देख रहा था। कई यात्रियों ने डर के कारण विमान से उतरने का फैसला लिया।
फ्लाइट के कप्तान को भी यात्रियों से कहना पड़ा—
“लेडीज़ एंड जेंटलमेन, मौजूदा हालात हमारे लिए भी अभूतपूर्व हैं। अगर आप यात्रा नहीं करना चाहते, तो आप विमान से उतर सकते हैं।”
इस अप्रत्याशित हालात के चलते फ्लाइट को लगभग तीन घंटे देरी से उड़ान भरनी पड़ी।
एक इंस्टाग्राम यूज़र ने लिखा— “पूरा माहौल अफरातफरी वाला था। लोग बेहद परेशान थे और यह नहीं जानते थे कि आगे क्या होगा।”
ट्रंप प्रशासन ने कहा कि यह कदम अमेरिकी कर्मचारियों की सुरक्षा और नौकरियों की रक्षा के लिए उठाया गया है, क्योंकि H-1B वीज़ा का गलत इस्तेमाल हो रहा था।
हालात की गंभीरता को देखते हुए मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी टेक कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को सख्त सलाह दी है। ईमेल के ज़रिए उन्हें कहा गया कि H-1B वीज़ा और H4 धारक कम से कम 14 दिन अमेरिका में ही रहें। वहीं जो कर्मचारी अमेरिका से बाहर हैं, उन्हें 24 घंटे के भीतर वापसी करने की चेतावनी दी गई है।
हालाँकि, हड़कंप मचाने वाले इस फैसले के बाद अगले ही दिन व्हाइट हाउस ने सफाई दी। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि 1 लाख डॉलर शुल्क केवल नए H-1B आवेदनकर्ताओं पर एकमुश्त लागू होगा, पहले से जारी वीज़ा धारकों पर नहीं।
इस अचानक बदलती स्थिति ने टेक इंडस्ट्री और प्रवासी भारतीय समुदाय में गहरी चिंता पैदा कर दी है।
