रायपुर, 14 सितम्बर 2025।
छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी द्वारा प्रेरणा हॉल, कलेक्टरेट भवन जगदलपुर में बस्तर संभागीय न्यायिक अधिकारियों के लिए एक दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया। इस अवसर पर जगदलपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा और कोंडागांव जिलों के कुल 43 न्यायिक अधिकारियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का उद्घाटन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं अकादमी के मुख्य संरक्षक श्री रमेश सिन्हा ने वर्चुअल माध्यम से किया। इस दौरान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं कांकेर जिला पोर्टफोलियो न्यायाधीश श्री अमितेंद्र किशोर प्रसाद भी गरिमामयी रूप से उपस्थित रहे।
मुख्य न्यायाधीश ने अपने संबोधन में कहा कि न्यायपालिका से समाज की अपेक्षाएँ अत्यधिक हैं और न्यायिक अधिकारियों को सहानुभूति, धैर्य और निष्पक्षता के साथ कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा,
“प्रत्येक मामले के पीछे एक मानवीय कहानी होती है – संघर्ष, आशा और न्यायपालिका पर विश्वास की। हमारा कर्तव्य है कि न्याय न केवल समय पर और पारदर्शी तरीके से दिया जाए, बल्कि जनता को होते हुए भी दिखे।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि न्यायिक शिक्षा सतत प्रक्रिया है और लगातार बदलते कानूनों व सामाजिक चुनौतियों के बीच न्यायाधीशों को निरंतर अपने ज्ञान और क्षमता को बढ़ाते रहना चाहिए। बस्तर जैसे विशेष सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक परिदृश्य वाले क्षेत्र में न्यायपालिका की भूमिका और भी अहम है, जहाँ कमजोर और वंचित वर्ग तक न्याय पहुँचाना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
सेमिनार में न्यायिक अधिकारियों ने परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के मामलों के त्वरित निपटारे, मध्यस्थता में रेफरल जज की भूमिका, डिक्री का क्रियान्वयन, संपत्ति कुर्की और गिरफ्तारी से जुड़े प्रावधानों, साथ ही जमानत और रिमांड प्रक्रिया पर गहन चर्चा की। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के नवीनतम निर्णयों का भी विश्लेषण प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जगदलपुर द्वारा दिया गया। छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी के निदेशक ने परिचयात्मक उद्बोधन दिया तथा धन्यवाद ज्ञापन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जगदलपुर ने किया।
मुख्य न्यायाधीश ने अंत में कहा कि ऐसे सेमिनार न केवल ज्ञानवर्धन करते हैं, बल्कि अनुभव साझा करने और न्यायिक कार्यप्रणालियों को और अधिक प्रभावी बनाने का अमूल्य अवसर भी प्रदान करते हैं।
