प्रधानमंत्री मोदी की असम यात्रा से पहले मोरान समुदाय का शांतिपूर्ण शक्ति प्रदर्शन, 20,000 लोग सड़कों पर उतरे

तिनसुकिया (असम), 12 सितम्बर 2025।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित असम यात्रा से ठीक पहले असम के तिनसुकिया ज़िले में मोरान समुदाय ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। अनुमानित 20,000 से अधिक लोग सड़कों पर उतरे और दशकों से लंबित अपनी मांग—अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने—को लेकर जोरदार लेकिन पूरी तरह शांतिपूर्ण रैली निकाली।

दशकों से लंबित मांगें

इस विशाल रैली का आयोजन मोरान स्टूडेंट्स यूनियन ने किया। समुदाय के नेताओं का कहना है कि वे असम के सबसे पुराने मूलनिवासी समूहों में से एक हैं, लेकिन अब तक उन्हें वह संवैधानिक पहचान नहीं मिली जिसकी उन्हें उम्मीद थी।

नेताओं पालिंद्र बोराह और जॉयकांता मोरान ने कहा—
“हमारी पहचान, ज़मीन और सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए ST दर्जा और छठी अनुसूची की सुरक्षा बेहद ज़रूरी है।”

तिनसुकिया की सड़कों पर उमड़ा सैलाब

यह रैली तिनसुकिया के आईटीआई मैदान, बोरगुरी से शुरू हुई और पूरे शहर में निकाली गई। हाथों में तख्तियां लिए और नारे लगाते हजारों लोगों ने शांतिपूर्ण ढंग से अपनी आवाज़ बुलंद की। जगह-जगह “राजनीतिक विश्वासघात” के खिलाफ गूंजते नारे सुनाई दिए।

सरकार से सीधी वार्ता की मांग

मोरान समुदाय का कहना है कि उनकी मांगें कोई नई नहीं हैं। 2014 से लेकर अब तक कई चुनावी वादों में भाजपा और उससे पहले कांग्रेस व असम गण परिषद (AGP) सरकारों ने ST दर्जा देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

नेताओं ने साफ चेतावनी दी है कि अगर 72 घंटों में सरकार ने सकारात्मक संवाद शुरू नहीं किया तो 15 सितम्बर से आर्थिक नाकेबंदी (Economic Blockade) शुरू की जाएगी।

समुदाय की लोकतांत्रिक जंग

यह प्रदर्शन इस बात का सबूत है कि मोरान समुदाय अपनी पहचान और अधिकारों की लड़ाई शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से लड़ना चाहता है। लेकिन लगातार अधूरी वादाखिलाफ़ी से उनके भीतर निराशा और आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह के आंदोलनों की अनदेखी न केवल असम बल्कि पूरे उत्तर-पूर्व के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित कर सकती है।

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