रायपुर, 11 सितम्बर 2025।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार की औद्योगिक विकास नीति अब बस्तर जैसे दूरस्थ और माओवाद प्रभावित अंचलों में भी नई रोशनी ला रही है। गुरुवार को जगदलपुर में आयोजित छत्तीसगढ़ इनवेस्टर कनेक्ट बस्तर कार्यक्रम के दौरान लगभग 1000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इन प्रस्तावों में कई स्थानीय उद्यमियों की पहल भी शामिल है, जिनमें बीजापुर के लिए खास महत्व रखने वाला निवेश गीदम निवासी युवा उद्यमी सोहैल रिजवी का है।
बीजापुर में बनेगा आधुनिक राइस मिल
सोहैल रिजवी बीजापुर जिले में एक आधुनिक राइस मिल स्थापित करने जा रहे हैं, जिसकी क्षमता प्रतिघंटा 6 टन होगी। इस परियोजना पर लगभग 6 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जिसमें से 90 लाख रुपये का अनुदान शासन द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। इस राइस मिल से क्षेत्र के लगभग 50 से 60 लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की उम्मीद है।
सोहैल के पिता ने करीब 17 वर्ष पहले गीदम में राइस मिल की स्थापना की थी। परिवारिक व्यवसाय से जुड़ी इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए सोहैल ने पढ़ाई पूरी करने के बाद खुद इस उद्यम को विस्तार देने का निर्णय लिया। इसके अतिरिक्त, सोहैल पहले से ही 3 करोड़ रुपये की लागत से फ्लाई ऐश ब्रिक्स का कारोबार सफलतापूर्वक संचालित कर रहे हैं।
महिला उद्यमियों की भागीदारी
बस्तर अंचल की युवा महिला उद्यमी रागिनी जायसवाल भी इस निवेश कार्यक्रम की प्रेरणादायक शख्सियतों में शामिल रहीं। रागिनी ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण योजना के तहत 9.53 लाख रुपये की सहायता प्राप्त कर फिटनेस एंड न्यूट्रिशन यूनिट स्थापित किया है। उनका यह यूनिट गर्भवती माताओं, पोषक आहार की जरूरत वाले बच्चों और स्थानीय परिवारों को हेल्दी फूड उपलब्ध करवा रहा है।
रागिनी कहती हैं –
“मैंने बस्तर की माताओं और बच्चों के पोषण को ध्यान में रखते हुए इस स्टार्टअप की शुरुआत की है। परिवार का सहयोग और शासन की योजनाओं से मिली मदद ने मुझे आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाया।”
औद्योगिक विकास की नई दिशा
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने बस्तर के युवाओं, उद्योगपतियों और स्टार्टअप से जुड़े उद्यमियों के साथ बीते छह महीने पहले संवाद किया था। उसी के सकारात्मक परिणाम स्वरूप आज स्थानीय उद्यमी आगे आकर औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन की जिम्मेदारी उठा रहे हैं।
सोहैल रिजवी और रागिनी जायसवाल जैसे युवा न केवल आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं बल्कि बस्तर की अर्थव्यवस्था को मजबूती और स्थानीय युवाओं को रोजगार देने का रास्ता भी खोल रहे हैं। सरकार की सुरक्षित, पारदर्शी और आकर्षक औद्योगिक नीति इन प्रयासों को गति देने में अहम भूमिका निभा रही है।
भविष्य की उम्मीदें
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की पहलें आने वाले समय में बस्तर को उद्योग और रोजगार का नया हब बना सकती हैं। ग्रामीण और आदिवासी अंचलों में स्थानीय संसाधनों के आधार पर उद्योग खड़ा होना यहां की आर्थिक तस्वीर बदलने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
