नारायणपुर, 11 सितंबर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में नक्सली संगठन को एक और बड़ा झटका लगा है। यहां 16 नक्सलियों ने बुधवार शाम पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सामने सरेंडर करने वाले इन कैडरों ने साफ कहा कि माओवादी विचारधारा खोखली है और शीर्ष नेता ही आदिवासियों के असली दुश्मन हैं।
नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक रॉबिन्सन गुरिया ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सली निचले स्तर के कैडर थे। इनमें जनताना सरकार, चेतना नाट्य मंडली और पंचायत मिलिशिया से जुड़े सदस्य शामिल हैं। हालांकि संगठन में इनकी रैंक कम थी, लेकिन ये नक्सल गतिविधियों को ज़िंदा रखने में अहम भूमिका निभा रहे थे।
ये नक्सली बिना किसी भुगतान के माओवादी दस्तों को राशन, दवाइयां और जरूरी सामान पहुंचाने के अलावा हथियार-बारूद की ढुलाई, बारूदी सुरंग (IED) लगाने, सुरक्षा बलों की गतिविधियों की जानकारी जुटाने और रेकी जैसे कामों में सक्रिय थे।
पूछताछ में नक्सलियों ने खुलासा किया कि शीर्ष माओवादी नेता आदिवासियों को “जल, जंगल और जमीन की रक्षा, समानता और न्याय” के नाम पर गुमराह करते हैं, लेकिन असलियत में उनका शोषण करते हैं। उन्होंने बताया कि निचले स्तर के कैडरों को व्यक्तिगत नौकर की तरह इस्तेमाल किया जाता है और महिला नक्सलियों की स्थिति और भी दयनीय है।
सरेंडर करने वाले सभी नक्सलियों को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत फिलहाल ₹50,000 की आर्थिक सहायता दी गई है और आगे उन्हें योजनाओं से जोड़ा जाएगा।
इस आत्मसमर्पण को सुरक्षा बलों के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है, क्योंकि लगातार हो रहे ऑपरेशनों और बढ़ती जागरूकता के चलते नक्सलियों में असंतोष गहराता जा रहा है।
