काठमांडू में जेनरेशन Z के युवाओं का आंदोलन लगातार तेज़ होता जा रहा है। जिस जन आंदोलन ने के.पी. शर्मा ओली की सरकार को गिराने में बड़ी भूमिका निभाई, वही अब अंतरिम सरकार के नेतृत्व को लेकर असमंजस में है।
प्रदर्शनकारी फिलहाल नेपाली सेना मुख्यालय के बाहर जुटे हैं, जहां सेना प्रमुख जनरल अशोक सिग्देल उनसे वार्ता कर रहे हैं। उन्हें सरकार की ओर से प्रदर्शनकारियों से बातचीत का अधिकार दिया गया है।
ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म Discord पर हुए मतदान में अधिकांश युवाओं ने नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के नाम पर सहमति जताई। 73 वर्षीय कार्की, जो नेपाल की पहली महिला सुप्रीम कोर्ट चीफ़ जस्टिस रही हैं, का कहना है कि “विशेषज्ञों को साथ बैठकर रास्ता निकालना होगा, क्योंकि संसद अभी भी कायम है।”
हालाँकि, आंदोलन के भीतर एक बड़ा वर्ग ऊर्जा विशेषज्ञ कुल मान घिसिंग के पक्ष में है। घिसिंग को नेपाल की वर्षों पुरानी बिजली कटौती संकट समाप्त करने का श्रेय दिया जाता है। मार्च में उनकी अचानक बर्खास्तगी ने ओली सरकार को भारी आलोचना झेलनी पड़ी थी।
इस बीच काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह, जो पहले संभावित उम्मीदवार माने जा रहे थे, ने बुधवार शाम साफ कर दिया कि वे दौड़ से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि वे सुशीला कार्की के नाम का समर्थन करेंगे।
सोमवार से शुरू हुआ यह आंदोलन सरकार के सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुआ था। अब तक कम से कम 35 लोगों की मौत हो चुकी है और 1000 से अधिक लोग अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं।
राजधानी में सेना की तैनाती जारी है। सड़कों पर चौकसी बढ़ा दी गई है और जगह-जगह सेना की चेकपोस्ट लगाई गई हैं। गुरुवार सुबह थोड़े समय के लिए पाबंदियां हटाई गईं ताकि लोग खाने-पीने का सामान जुटा सकें और आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोग अपना काम कर सकें।
