विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा: 75 दिनों तक आस्था, परंपरा और जनभागीदारी का अद्भुत संगम

रायपुर, 10 सितम्बर 2025//
छत्तीसगढ़ का बस्तर दशहरा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि जनभावनाओं, संस्कृति और परंपरा का जीवंत उत्सव है। 75 दिनों तक मनाया जाने वाला यह अनूठा पर्व पूरे देश और विदेश में अपनी विशेष पहचान रखता है।

आज राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से बस्तर सांसद श्री महेश कश्यप के नेतृत्व में बस्तर दशहरा समिति, जगदलपुर के प्रतिनिधि मंडल ने सौजन्य भेंट की और उन्हें 2025 के इस भव्य आयोजन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।

प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि इस वर्ष बस्तर दशहरा की शुरुआत 24 जुलाई को पाटजात्रा पूजा के साथ हुई थी। यह पर्व हरेली अमावस्या से प्रारंभ होकर आश्विन शुक्ल पक्ष के 13वें दिन तक चलता है। इस लंबे उत्सव की विशेषता यह है कि इसमें बस्तर की विविध जनजातीय परंपराएँ और लोक आस्थाएँ समाहित होती हैं।

आने वाले प्रमुख आयोजन

  • 21 सितम्बर – काछनगादी पूजा
  • 29 सितम्बर – बेल पूजा
  • 4 अक्टूबर – मुरिया दरबार

इन आयोजनों में न केवल बस्तर अंचल बल्कि देश-विदेश से आने वाले हजारों श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं।

मुख्यमंत्री साय ने आमंत्रण स्वीकार करते हुए समिति और समूचे बस्तरवासियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा—
“बस्तर दशहरा छत्तीसगढ़ की आत्मा है। यह पर्व हमारी समृद्ध परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इसकी अनूठी पहचान दुनिया में छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित करती है।”

मान्यता और सांस्कृतिक महत्व

बस्तर दशहरा की विशेषता यह है कि यहाँ दशहरा केवल बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक नहीं, बल्कि माँ जगदलपुर की आराधना और प्रकृति के प्रति आभार के रूप में मनाया जाता है। हर रस्म और अनुष्ठान का सीधा संबंध बस्तर की जनजातीय परंपरा और जनजीवन से है।

लोग बताते हैं कि जब राजा-रजवाड़ों का शासन था, तब से यह परंपरा चली आ रही है। आज भी रथ यात्रा, मुरिया दरबार और अनूठी पूजाओं में हजारों लोगों की सहभागिता होती है। यही कारण है कि यह पर्व केवल बस्तर ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और भारत की सांस्कृतिक धरोहर बन चुका है।

मुख्यमंत्री ने आयोजन की सफलता के लिए शुभकामनाएँ दीं और विश्वास जताया कि इस वर्ष का बस्तर दशहरा और भी भव्य होगा।