काठमांडू, 9 सितंबर 2025। नेपाल इस समय राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को भारी विरोध प्रदर्शनों और जनाक्रोश के बीच अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। यह कदम उस समय उठाया गया जब सैकड़ों प्रदर्शनकारी उनके कार्यालय में घुस गए और सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी करने लगे।
सूत्रों के अनुसार, इस्तीफ़े के बाद ओली नेपाल छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इससे कुछ घंटे पहले ही आक्रोशित भीड़ ने उनके निजी निवास बालकोट को आग के हवाले कर दिया। सोमवार को सोशल मीडिया बैन के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में कम से कम 19 लोगों की मौत हुई थी।
सोमवार रात सरकार ने भारी दबाव के बाद सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा लिया। लेकिन युवाओं के गुस्से ने स्थिति को और विस्फोटक बना दिया।
इन प्रदर्शनों को आयोजकों ने “जनरेशन ज़ी का आंदोलन” बताया है, जो भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी से उपजी निराशा का परिणाम है। युवा लगातार सोशल मीडिया पर नेताओं और अफसरों के परिवारों की आलीशान जीवनशैली के वीडियो और पोस्ट साझा कर रहे थे। जवाब में सरकार ने सोशल मीडिया पर पाबंदी लगा दी थी।
ओली ने इस्तीफ़े से पहले हिंसा की घटनाओं पर कहा कि यह “स्वार्थी तत्वों की घुसपैठ का नतीजा” है। हालांकि उन्होंने युवाओं की भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतों पर सीधा जवाब नहीं दिया।
73 वर्षीय ओली जुलाई 2024 में चौथी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे। सोमवार को ही उनकी कैबिनेट के दो मंत्रियों ने नैतिक कारणों से इस्तीफ़ा दे दिया था।
नेपाल के हालात पर भारत ने चिंता जताई है। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, “एक करीबी मित्र और पड़ोसी के रूप में हम आशा करते हैं कि सभी पक्ष संयम बरतेंगे और मुद्दों का समाधान शांति और संवाद के माध्यम से करेंगे।”
ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, फ्रांस, जापान, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, नॉर्वे, जर्मनी और अमेरिका सहित नौ देशों के दूतावासों ने संयुक्त बयान जारी कर हिंसा पर दुख जताया और सभी पक्षों से संयम बरतने और मौलिक अधिकारों की रक्षा करने की अपील की।
यह पूरा घटनाक्रम नेपाल में लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
