वॉशिंगटन। अमेरिका ने म्यांमार और कंबोडिया में सक्रिय करीब 20 कंपनियों और व्यक्तियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। इन पर आरोप है कि वे बहु-अरब डॉलर के वैश्विक साइबर ठगी नेटवर्क का हिस्सा हैं, जो हजारों मानव तस्करी के शिकार लोगों को गुलाम बनाकर काम करवाता है।
अमेरिकी वित्त विभाग ने सोमवार को घोषणा की कि म्यांमार के कुख्यात श्वे कक्को शहर में काम कर रहे 9 और कंबोडिया में सक्रिय 10 टारगेट्स पर वित्तीय व राजनयिक प्रतिबंध लगाए गए हैं।
वित्तीय खुफिया के लिए आतंकवाद-विरोधी विभाग के अंडर सेक्रेटरी जॉन के. हर्ले ने कहा, “दक्षिण-पूर्व एशिया का साइबर स्कैम उद्योग न सिर्फ अमेरिकियों की आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि हजारों लोगों को आधुनिक गुलामी में भी धकेलता है। सिर्फ पिछले साल, अमेरिकी नागरिकों को इस क्षेत्र से जुड़े घोटालों में 10 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ।”
प्रतिबंधित व्यक्तियों में टिन विन, सॉ मिन मिन ऊ और चिट लिन म्याइंग कंपनी शामिल हैं, जिन पर करेन नेशनल आर्मी की ओर से काम करने का आरोप है। यह आर्मी श्वे कक्को के विशाल स्कैम ऑपरेशन की रक्षा करती है। इसी तरह, याताई न्यू सिटी प्रोजेक्ट के निर्माता शे झिजियांग और उनसे जुड़ी कई कंपनियों पर भी रोक लगाई गई है।
कंबोडिया में डॉन्ग लेचेंग, जू ऐमिन, चेन अल लेन और सू लियांगशेंग समेत छह कंपनियों को निशाना बनाया गया है, जो होटलों, ऑफिस ब्लॉकों और कैसिनो को ठगी के अड्डों में बदल चुके थे।
इन ठगी योजनाओं को आम तौर पर “पिग-बचरिंग स्कैम” कहा जाता है, जिसमें धोखेबाज पहले वर्चुअल रिश्ते बनाते हैं और फिर पीड़ितों को झूठे निवेश में पैसा लगाने के लिए उकसाते हैं।
सबसे भयावह पहलू यह है कि इन नेटवर्क्स में काम करने वाले कई लोग खुद भी शिकार होते हैं। उन्हें नौकरी का झांसा देकर विदेश से बुलाया जाता है और फिर हिंसा के जरिए कैद में रखकर ठगी करवाई जाती है। अनुमान है कि कंबोडिया में लगभग 1.5 लाख और म्यांमार में करीब 1 लाख लोग ऐसे स्कैम कैंपों में फंसे हुए हैं।
थाई सीमा से लगे श्वे कक्को शहर ने हाल के महीनों में सुर्खियां बटोरीं, जब थाई प्रशासन ने हजारों विदेशी पीड़ितों को छुड़ाकर वापस उनके देश भेजा।
