बस्तर में सड़क और एंबुलेंस सुविधा के अभाव में मरीज को 15 किमी कांवड़ में ढोकर ले गए परिजन

बस्तर। बीजापुर जिले के कुढ़मेर गांव से एक दर्दनाक तस्वीर सामने आई है, जिसने विकास के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां स्वास्थ्य सुविधा और सड़क की कमी के कारण ग्रामीणों को एक बीमार व्यक्ति को कांवड़ में बैठाकर 15 किलोमीटर पैदल चलकर नेलसनार अस्पताल पहुंचाना पड़ा।

यह घटना 5 सितंबर की है और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। वायरल वीडियो में ग्रामीणों को कंधे पर कांवड़ उठाकर उबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरते देखा जा सकता है। मरीज के परिजन लालूराम मांडवी ने बताया कि वे अपने चाचा को अस्पताल ले जा रहे थे, लेकिन मेन रोड तक पहुंचने के लिए मजबूरी में लंबा पैदल सफर करना पड़ा।

क्यों अब भी अधूरी है विकास की तस्वीर?
सरकार गांव-गांव स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने और एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराने के दावे करती है, लेकिन बस्तर का यह इलाका अब भी अंधेरे में है। सड़क और पुल की अनुपलब्धता के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती। बरसात में हालात और बिगड़ जाते हैं—कीचड़ भरे रास्ते, टूटी पुलिया और घने जंगल से होकर गुजरना पड़ता है।

यह सिर्फ कुढ़मेर की कहानी नहीं है। बीजापुर के कई गांवों में अब भी यही हाल है। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग की टीम को उफनते नाले को छोटी नाव के सहारे पार कर माओग्रस्त गोरगुंडा गांव पहुंचना पड़ा था। यह तस्वीरें साफ दिखाती हैं कि सुदूर इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं अब भी पहुंच से बाहर हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सड़क और एंबुलेंस की सुविधा नहीं होगी, तब तक मरीज और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने के लिए कांवड़ ही ‘एंबुलेंस’ बनी रहेगी।