नई दिल्ली, 05 सितम्बर 2025। त्योहारों के मौसम से पहले सरकार ने जीएसटी दरों में कटौती का फैसला लिया है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड ग्लोबल रिसर्च की ताज़ा रिपोर्ट ‘इंडिया – ए टाइमली जीएसटी कट’ के मुताबिक इस कदम से देश की जीडीपी को सालाना आधार पर 0.1 से 0.16 प्रतिशत अंक (ppt) का सहारा मिल सकता है, वहीं महंगाई (CPI) में 40 से 60 बेसिस प्वॉइंट्स (bps) तक की गिरावट देखने को मिल सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला “समय पर और सही” है, क्योंकि इससे त्योहारों के दौरान उपभोग (consumption) बढ़ेगा और बाज़ार को नई रफ़्तार मिलेगी।
राजकोषीय चिंता लेकिन सीमित राजस्व हानि
रिपोर्ट बताती है कि जीएसटी कटौती से राजस्व को बड़ा नुकसान नहीं होगा। राजस्व सचिव के अनुसार, FY24 के आधार पर यह नुकसान करीब 48,000 करोड़ रुपये यानी 0.16% जीडीपी के बराबर होगा। FY26 में भी इसी तरह का असर मानते हुए, जीडीपी में 0.16% की बढ़ोतरी संभव है। हालांकि, चूंकि यह कटौती साल के बीच से लागू हुई है, इसलिए FY26 में इसका आधा असर दिखेगा और शेष प्रभाव FY27 में नज़र आएगा।
विश्लेषकों के अनुसार, एक साल की अवधि में जीएसटी कटौती से केंद्र और राज्य सरकारों को मिलाकर लगभग 60,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा। इसके बावजूद सरकार का अनुमान विशेषज्ञों से एक-तिहाई कम है, जिससे वित्तीय घाटे पर दबाव अपेक्षाकृत कम रहेगा।
महंगाई में राहत की उम्मीद
स्टैंडर्ड चार्टर्ड का अनुमान है कि इस कदम से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई पर सालाना 40-60 bps का असर पड़ेगा। खासकर गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं (जैसे मिठाई और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स), जिनका सीपीआई में बड़ा हिस्सा है, उनकी कीमतें घट सकती हैं।
FY26 के लिए महंगाई पर इसका असर 20-25 bps तक दिखेगा, जबकि पूरा असर FY27 में महसूस होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, यह कदम भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को ज़रूरत पड़ने पर 25 bps की अतिरिक्त दर कटौती की गुंजाइश भी दे सकता है।
व्यापार और रोज़मर्रा की जिंदगी पर असर
छोटे टिकट साइज वाले सामान जैसे मिठाई और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स पर 13% तक जीएसटी कटौती हुई है, जिससे आम उपभोक्ता को सीधी राहत मिलेगी। वहीं, बड़ी कारों जैसे उच्च मूल्य वाले उत्पादों पर अपेक्षाकृत कम राहत दी गई है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सुधार केवल टैक्स कटौती तक सीमित नहीं है। तेज़ पंजीकरण, रिफंड और पारदर्शिता जैसी प्रक्रिया सुधारों से कारोबार करना आसान होगा और इससे मध्यम अवधि में विकास दर को स्थिर गति मिलेगी।
त्योहारों के मौसम में जब हर घर ख़रीददारी के मूड में होता है, ऐसे में यह कदम न केवल जेब पर बोझ कम करेगा बल्कि बाज़ार में नई ऊर्जा भी लाएगा।
