रायपुर, 04 सितम्बर 2025।
धरमजयगढ़ के जमारगी-डी क्षेत्र से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने अस्पताल व्यवस्था और इंसानियत दोनों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। संदिग्ध परिस्थितियों में एक युवा की मौत के बाद जब परिजन पोस्टमार्टम कराने के लिए मोर्चरी पहुंचे, तो उनसे डॉक्टर के ड्राइवर ने खुलेआम 7 हजार रुपए की मांग कर ली। मजबूरी में परिजनों को यह रकम चुकानी पड़ी।
मौत का सदमा और मजबूरी का शिकार बने परिजन
जानकारी के अनुसार मृतक के परिवारजन पहले ही अचानक हुई मौत से सदमे में थे। इस बीच पोस्टमार्टम के लिए जब वे सरकारी अस्पताल पहुंचे, तो उनसे 7 हजार रुपए मांगे गए। परिजनों ने बताया कि पोस्टमार्टम कराना जरूरी था, वरना वे कानूनी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ा सकते थे। ऐसे में उन्हें विवश होकर डॉक्टर के ड्राइवर को 7 हजार रुपए देने पड़े।
खबर फैली तो मचा हड़कंप
जैसे ही यह खबर स्थानीय लोगों और मीडिया तक पहुंची, अस्पताल प्रबंधन पर सवाल खड़े होने लगे। लोगों ने इसे “अस्पतालों में फैले भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण” करार दिया। परिजनों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि अस्पताल में ऐसी वसूली अक्सर होती है, बस पीड़ित परिवार डर और शर्म के कारण खुलकर सामने नहीं आते।
जनता के पैसे से चलने वाला अस्पताल, फिर भी लूट
गौर करने वाली बात यह है कि सरकारी अस्पताल जनता की सुविधा और निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए बने हैं। लेकिन यहां तैनात कुछ कर्मचारी और संबंधित लोग मरीजों व परिजनों से अवैध वसूली में जुटे रहते हैं। दुख की घड़ी में भी परिवार को मजबूरी में पैसे चुकाने पड़े, जिससे समाज में गहरा आक्रोश है।
भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की मांग
पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया कि इस पूरे खेल में अधिकारी और कर्मचारी सभी की मिलीभगत है। अब तक किसी के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। यदि इस पर कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में भी इस तरह की घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी।
यह घटना केवल एक परिवार की लूट नहीं, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था पर गहरा धब्बा है। सवाल यह है कि आखिर कब तक गरीब और पीड़ित परिवारों को ऐसे भ्रष्टाचार का शिकार बनना पड़ेगा?
