सितंबर 04, 2025
रायपुर/दुर्ग। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अधिकारी-कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल पर सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार देर शाम बड़ा निर्णय लेते हुए हड़ताल पर डटे 25 अधिकारी-कर्मचारियों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दीं। आदेश में साफ लिखा गया है कि जनहित से जुड़ी सेवाओं में लापरवाही किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
18 अगस्त से जारी है हड़ताल
NHM कर्मचारी अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर 18 अगस्त 2025 से हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल के चलते राज्यभर के अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। ग्रामीण इलाकों में मरीजों को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। कई प्रसूता महिलाएं और गंभीर मरीज इलाज के लिए निजी अस्पतालों का रुख करने को मजबूर हुए।
सरकार का कहना है कि पहले ही 13 अगस्त की कार्यकारिणी बैठक में 5 मांगों पर सहमति जताकर आदेश जारी कर दिए गए थे, जबकि शेष मांगों पर विचार चल रहा था। इसके बावजूद कर्मचारी हड़ताल पर डटे रहे।
बार-बार नोटिस, फिर भी नहीं लौटे कर्मचारी
स्वास्थ्य विभाग ने हड़ताल खत्म करने के लिए कई बार नोटिस जारी किए। यहां तक कि 29 अगस्त को सचिव अमित कटारिया ने स्पष्ट आदेश दिया कि यदि कर्मचारी काम पर नहीं लौटे तो सेवा से पृथक कर दिया जाएगा। इसके बाद भी अधिकारी-कर्मचारी डटे रहे। नतीजतन मरीजों की बढ़ती परेशानी को देखते हुए विभाग ने कड़ा कदम उठाया।
विभाग का तर्क
स्वास्थ्य विभाग ने आदेश जारी करते हुए कहा कि—
“जनहित और लोककल्याण से जुड़े कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। हड़ताल के कारण प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुईं और मरीजों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। यह नियम विरुद्ध आचरण है, इसलिए आंदोलनरत 25 अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवाएं तत्काल समाप्त की जाती हैं।”
NHM कर्मचारियों की प्रमुख मांगे
- संविलियन एवं स्थायीकरण, अलग कैडर का गठन
- समान कार्य के लिए समान वेतन और ग्रेड पे का निर्धारण
- लंबित 27% वेतन वृद्धि लागू करना
- जुलाई 2023 से रुकी वेतन वृद्धि बहाल करना
- CR सिस्टम में पारदर्शिता
- भर्ती में 50% सीटें NHM कर्मियों के लिए आरक्षित
- ड्यूटी के दौरान मृत कर्मचारियों के परिजनों को नौकरी
- मेडिकल और अन्य अवकाश की सुविधा
- पारदर्शी ट्रांसफर पॉलिसी
- 10 लाख रुपये तक कैशलेस स्वास्थ्य बीमा
मानवीय असर
हड़ताल का सबसे ज्यादा खामियाजा आम लोगों ने भुगता। एक ग्रामीण महिला ने बताया कि उसका बच्चा तेज बुखार से पीड़ित था, लेकिन सरकारी अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलने पर उसे निजी अस्पताल ले जाना पड़ा। वहीं, कई बुजुर्ग मरीज बिना दवा के लौटते देखे गए।
