कुलपति डॉ. अरुण अरोरा की पहल: अब छात्र-छात्राओं की समस्याओं का होगा त्वरित समाधान

भिलाई, 02 सितम्बर 2025।
छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (CSVTU) भिलाई में नव नियुक्त कुलपति प्रो. डॉ. अरुण अरोरा ने कार्यभार संभालते ही छात्र-छात्राओं की समस्याओं को सीधे सुनने और तत्काल निराकरण की पहल शुरू कर दी है। यह बदलाव उन हजारों छात्र-छात्राओं के लिए उम्मीद की नई किरण है, जो वर्षों से परीक्षा परिणाम, डिग्री, डिप्लोमा, माइग्रेशन और ट्रांसक्रिप्ट जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भटकते रहे।

पिछले दशक की उपेक्षा और अव्यवस्था

पिछले दस वर्षों में विश्वविद्यालय प्रशासन पर छात्र-छात्राओं की समस्याओं को नजरअंदाज करने के आरोप लगते रहे हैं। अव्यवस्था की स्थिति ऐसी रही कि हजारों छात्र-छात्राएं बेहतर तकनीकी शिक्षा के लिए प्रदेश से बाहर जाने को मजबूर हो गए।

दुर्ग-भिलाई के कुछ बड़े इंजीनियरिंग कॉलेजों ने तो इसी कारण अपनी संस्थाओं को निजी विश्वविद्यालयों के रूप में स्थापित कर लिया। यह कदम छात्रों के हित में उठाया गया, लेकिन इसके पीछे तकनीकी विश्वविद्यालय की अव्यवस्था और उदासीनता ही प्रमुख वजह रही।

छात्र के पिता की भावनात्मक कहानी

विश्वविद्यालय की लापरवाही का एक उदाहरण हाल ही में सामने आया। एक छात्र अपनी डिग्री प्राप्त करने के लिए महीनों से परेशान था। उसकी गुहार विश्वविद्यालय के कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक तक पहुंची, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अंततः छात्र के पिता ने सीधे कुलपति डॉ. अरोरा से संपर्क किया। कुलपति ने त्वरित कार्रवाई करते हुए छात्र की डिग्री दिलवाई। बेटे की डिग्री मिलने के बाद पिता की आंखों में उमड़ते आंसू और चेहरे पर खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यह घटना बताती है कि संवेदनशील नेतृत्व से छात्रों के जीवन में तुरंत बदलाव लाया जा सकता है।

बीस साल बाद भी रैंकिंग से दूर

विश्वविद्यालय की स्थापना भले ही छात्र-छात्राओं के भविष्य को संवारने के लिए की गई थी, लेकिन बीते बीस वर्षों में न तो कोई उल्लेखनीय ग्रेडिंग मिली और न ही राष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग में जगह बन पाई। इसका मुख्य कारण प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारियों की उदासीनता और व्यक्तिगत हितों पर ध्यान केंद्रित करना बताया जाता है।

अब बंधी नई उम्मीदें

नव नियुक्त कुलपति डॉ. अरोरा की सक्रियता और कार्यशैली को देखकर विश्वविद्यालय से जुड़े छात्र-छात्राओं में उम्मीद जगी है। अब उन्हें विश्वास है कि भविष्य में किसी को भी परीक्षा परिणाम, डिग्री या माइग्रेशन के लिए महीनों या सालों तक भटकना नहीं पड़ेगा।