रायपुर, 01 सितम्बर 2025।
शिक्षक केवल ज्ञान ही नहीं देते, बल्कि समाज को राह दिखाने का काम भी करते हैं। इसका जीवंत उदाहरण हाल ही में छत्तीसगढ़ के सुरजपुर और बलरामपुर जिलों में देखने को मिला, जहां सरकारी स्कूलों के शिक्षक खुद फावड़ा और कुदाल लेकर सड़क के गहरे गड्ढे भरने में जुट गए।
शनिवार को सोशल मीडिया पर शिक्षकों की तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए, जिसमें वे बिलदवार जंगल से होकर गुजरने वाली लगभग एक किलोमीटर की कच्ची सड़क पर गड्ढे भरते दिखे। यह सड़क सुरजपुर के खड़गवा कला और बलरामपुर के खोखनिया गांवों को जोड़ती है और दो पीएमजीएसवाई (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना) सड़कों के बीच का अधूरा हिस्सा है। हर साल बरसात में यह हिस्सा कीचड़ और गड्ढों में तब्दील हो जाता है, जिससे दोपहिया वाहन चालकों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। कुछ शिक्षकों ने गिरने और चोट लगने की घटनाएं भी बताईं।
शिक्षकों की मजबूरी से जन्मा श्रमदान
शिक्षक रोज इसी रास्ते से स्कूल आते-जाते हैं। बरसात में यह सड़क इतना खतरनाक हो जाती है कि बच्चों तक पहुंचना कठिन हो जाता है। आखिरकार, उन्होंने खुद श्रमदान का रास्ता चुना और एक दिन पूरा समय सड़क सुधारने में लगा दिया। गांव वालों ने भी इसमें सहयोग किया।
प्रशासन की स्थिति और दुविधा
सुरजपुर कलेक्टर एस. जयवर्धन ने बताया कि यह सड़क दोनों जिलों की सीमा पर स्थित है और लगभग 800 मीटर का हिस्सा अधूरा है। यह भूमि वन क्षेत्र से गुजरती है और यहां न तो कैंपा (CAMPA) की स्वीकृति है और न ही इसे अधिसूचित सड़क घोषित किया गया है।
उन्होंने कहा कि “यह हिस्सा पीएमजीएसवाई के तहत ‘डबल कनेक्टिविटी’ में आता है, इसलिए नियमों के दायरे में भी नहीं बैठता। हम इस पर सुरगुजा संभागीय प्राधिकरण को प्रस्ताव भेजेंगे और बलरामपुर जिले के साथ मिलकर डायवर्जन की अनुमति लेने की कोशिश करेंगे।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस घटना पर सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि “यह कथित सुशासन का आईना है। गांववाले और शिक्षक कई बार इस समस्या की शिकायत कर चुके हैं, लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। अब जनता ने खुद अपनी समस्याओं का समाधान करना शुरू कर दिया है। यह सरकार पर से विश्वास खोने का प्रतीक है।”
स्थानीय निवासियों की चिंता
गांव के लोगों का कहना है कि एनएच-343 से बचने के लिए भारी वाहन अक्सर पीएमजीएसवाई की इन सड़कों पर दौड़ते हैं। बरसात के दिनों में यह सड़क और भी ज्यादा खराब हो जाती है। अब लोगों को डर है कि यदि जल्द समाधान नहीं मिला तो यह रास्ता पूरी तरह बंद हो सकता है।
मानवीय कहानी की गूंज
यह घटना केवल सड़क सुधारने की कहानी नहीं, बल्कि उस जज़्बे की मिसाल है जो लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए खुद कदम उठाते हैं। शिक्षकों की पहल से यह संदेश साफ है कि जब सरकार और व्यवस्था धीमी हो, तो समाज अपनी राह खुद बनाने की ताकत रखता है।
