मधेपुरा ज़िले के बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र के रहिजगतपुर गाँव की एक बूथ पर चौंकाने वाली गड़बड़ी सामने आई है। यहाँ मतदाता सूची में कुल 1,069 वोटरों का नाम सिर्फ़ एक ही पते – मकान नंबर 3 – पर दर्ज है।
74 वर्षीय काशारानी देवी, जो एक झोपड़ी में रहती हैं, हैरान रह गईं जब उन्हें पता चला कि उनका नाम भी उसी “भूतिया घर” में दर्ज है, जिसमें सैकड़ों लोग दिखाए गए हैं। वहीं पंकज कुमार, जो पक्का मकान में रहते हैं, बोले – “जनगणना के समय घर नंबर लिखे कार्ड मिले थे, पर किसी ने उन्हें दरवाज़े पर चिपकाया ही नहीं। हम वैसे भी घर नंबर का इस्तेमाल नहीं करते।”
गाँव के मुखिया संदीप कुमार ने कहा – “हमारे यहाँ कभी घर नंबर की परंपरा ही नहीं रही। अब सोच रहा हूँ कि ये घर नंबर मतदाता सूची में आए ही कैसे।”
चुनाव आयोग (ECI) की ओर से ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ (SIR) के बाद भी ऐसी गड़बड़ियों का जारी रहना गंभीर सवाल खड़े करता है। बिहार भर में 2,243 ऐसे पते मिले हैं जिनमें 100 से लेकर 800 से अधिक मतदाता एक ही पते पर दर्ज हैं। सिर्फ़ 25 विधानसभा क्षेत्र ही इस गड़बड़ी से अछूते हैं।
नवादा जिले में 19,455 मतदाता 102 सामूहिक पतों पर दर्ज हैं, जबकि मटिहानी और औरंगाबाद में भी हज़ारों लोग कुछेक पतों पर समेट दिए गए हैं।
बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) संदीप कुमार, जो 2005 से रहिजगतपुर के बूथ 219 के प्रभारी हैं, मानते हैं कि समस्या पुरानी है। “पहले ही सभी को घर नंबर 3 दे दिया गया था। नए वोटर आते गए और वे भी उसी पते में जोड़ दिए गए। SIR के बाद भी इसे ठीक नहीं किया जा सका,” उन्होंने बताया।
चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि कानूनी दायरे में रहते हुए आयोग मतदाता के पते को सीधे तौर पर बदल नहीं सकता। इसके लिए या तो पूरी सूची नए सिरे से बनानी होगी या फिर मतदाता स्वयं फॉर्म-8 भरकर संशोधन कराएँगे।
यह गड़बड़ी न सिर्फ़ मतदाता सूची की पारदर्शिता पर सवाल उठाती है बल्कि भौतिक सत्यापन (verification) की प्रक्रिया को भी बेहद कठिन बना देती है।
