नई दिल्ली, 30 अगस्त 2025।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को उद्योग जगत को कड़ी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों को अब घरेलू बाज़ार की “आरामदायक ज़ोन” से बाहर निकलकर दुनिया भर में अवसर तलाशने होंगे।
गोयल ने सीआईआई द्वारा आयोजित भारत-यूएई व्यापार संवाद में कहा – “मुझे अक्सर लगता है कि 1.4 अरब की बड़ी घरेलू आबादी का बाज़ार हमारे उद्योगों के लिए एक आरामदायक घेरा बन गया है, जहां वे लाभ तो कमा लेते हैं लेकिन वैश्विक स्तर पर नए अवसर तलाशने की हिम्मत नहीं करते।”
उद्योग पर सवाल और उदाहरण
गोयल ने उद्योगों में मूल्य संवर्धन की कमी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत चावल तो बेचता है, लेकिन चावल से बने रेडी-टू-ईट या पफ्ड प्रोडक्ट्स नहीं। इसी तरह स्टील उद्योग आयरन ओर बेचता है लेकिन उच्च गुणवत्ता वाला स्टील निर्यातक नहीं बन पाता।
चुनौतियाँ और अवसर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50% शुल्क लगाने के फैसले पर गोयल ने कहा कि इससे घबराने की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने स्वीकार किया कि वस्त्र, परिधान, रत्न-आभूषण, झींगा और चमड़ा उद्योग को कठिनाइयाँ होंगी, लेकिन ज़ोर दिया कि उद्योग यदि मूल्यवर्धन पर ध्यान दें तो इन झटकों को कम किया जा सकता है।
घरेलू बाज़ार में नई रणनीति
गोयल ने उद्योगपति नोएल टाटा का ज़िक्र करते हुए कहा कि अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित उत्पादों को भारत में छूट पर बेचा जा सकता है, जब तक कि उनके लिए नए निर्यात बाज़ार न मिल जाएं।
अर्थव्यवस्था में भरोसा
गोयल ने 2025-26 की पहली तिमाही में 7.8% जीडीपी वृद्धि दर को “मनोबल बढ़ाने वाली उपलब्धि” बताया और उम्मीद जताई कि आगामी जीएसटी परिषद के फैसले मांग को और बढ़ावा देंगे।
