नई दिल्ली, 25 अगस्त 2025:
भारत अपने 1.4 अरब लोगों के हितों की रक्षा के लिए तेल खरीद में “सबसे अच्छा सौदा” लेने की नीति पर कायम रहेगा। यह बयान रूस में भारतीय राजदूत विनय कुमार ने दिया। उन्होंने कहा कि तेल का व्यापार पूरी तरह से बाजार आधारित है और देश की प्राथमिकता ऊर्जा सुरक्षा बनी रहेगी।
यह बयान उस समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, जिसमें 25% अतिरिक्त शुल्क रूस से तेल और हथियार खरीदने पर लागू होगा। अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वैंस ने इसे रूस पर दबाव बनाने और यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए “आक्रामक आर्थिक उपाय” बताया।
रूस से सस्ते कच्चे तेल की बढ़ी हुई खरीद ने भारत-अमेरिका संबंधों में खिंचाव पैदा किया है और व्यापार समझौते पर बातचीत को प्रभावित किया है। 2024 में रूस का तेल भारत की कुल तेल आयात का 35-40% था, जो 2021 में मात्र 3% था।
भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि उसकी रणनीति सामरिक स्वतंत्रता पर आधारित है और वह अमेरिका के दबाव में रूस से तेल खरीद कम नहीं करेगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी इसे सही ठहराते हुए कहा कि अमेरिका का यह निर्णय अन्यायपूर्ण और अनुचित है। उन्होंने अमेरिका पर चीन और यूरोपीय संघ के खिलाफ समान कदम न उठाने की बात भी उठाई।
भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में शांतिपूर्ण समाधान और कूटनीति की वकालत की है, लेकिन रूस की सार्वजनिक आलोचना से परहेज़ किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 में यूक्रेन गए थे और भारत ने शांति स्थापना में योगदान की अपनी तत्परता जताई।
यूक्रेन के राजदूत ओलेक्सांड्र पोलिशचुक ने स्थानीय मीडिया से कहा कि राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की संभवतः जल्द भारत दौरे पर आएंगे, जबकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के भी इस साल भारत आने की संभावना है।
