35 साल से सेवा पर भी EPF से वंचित: छत्तीसगढ़ के शासकीय महाविद्यालयों के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी आहत

दुर्ग, 23 अगस्त 2025 —
“हमने ज़िंदगी भर कॉलेज की सेवा की, लेकिन बुढ़ापे के लिए कुछ भी सुरक्षित नहीं मिला।” यह दर्द छत्तीसगढ़ के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत एक दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी की जुबान से फूट पड़ा।

भारत सरकार का कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) कर्मचारियों के कल्याण के लिए स्थापित हुआ था। नियमों के अनुसार कलेक्टर वेतन दर पर कार्यरत कर्मचारियों को भी ईपीएफ का लाभ मिलना चाहिए। लेकिन प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में वर्षों से काम कर रहे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को यह सुविधा अब तक नहीं मिली।

अनेक कर्मचारी 15–20 साल तक सेवा देकर निराश होकर नौकरी छोड़ चुके हैं। कुछ की असमय मृत्यु हो गई और कई आज भी अपनी सेवा जारी रखे हुए हैं। उनकी शिकायत है कि महाविद्यालय प्राचार्य नियुक्ति तो कलेक्टर दर पर करते हैं, मगर उच्च अधिकारियों की अनदेखी और मनमानी की वजह से उन्हें भविष्य निधि का लाभ नहीं मिल सका।

दुर्ग नगर और जिले के अन्य महाविद्यालयों में स्थिति एक जैसी है। कर्मचारियों का कहना है कि पंडरी रायपुर स्थित ईपीएफओ का क्षेत्रीय कार्यालय निरीक्षण की जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा। नतीजा यह हुआ कि दशकों की सेवा देने के बावजूद उनका भविष्य असुरक्षित बना हुआ है।

एक बुजुर्ग कर्मचारी ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा — “हमने कॉलेज को अपनी जवानी दी, लेकिन हमें बुढ़ापे में सहारे की जगह असुरक्षा मिली।”

कर्मचारियों का मानना है कि जिस दिन से उन्होंने नौकरी शुरू की, उसी दिन से उनका ईपीएफ योगदान जमा कराया जाना चाहिए था। अब सरकार यदि तत्काल पहल करे और वर्षों से वंचित कर्मचारियों को ईपीएफ का लाभ दिलाए, तो उनके जीवन की सबसे बड़ी चिंता दूर हो सकती है।