छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 29 साल पुराने विवाह को किया खत्म, पत्नी के व्यवहार को माना मानसिक क्रूरता और परित्याग

रायपुर, 22 अगस्त 2025।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दुर्ग के अधिवक्ता अनिल कुमार सोनमनी उर्फ़ अनिल स्वामी और उनकी पत्नी श्रद्धा तिवारी (सोनमनी) के 29 साल पुराने वैवाहिक संबंध को समाप्त कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि पत्नी का आचरण मानसिक क्रूरता और परित्याग की श्रेणी में आता है।

अनिल और श्रद्धा का विवाह 26 दिसंबर 1996 को भिलाई में हुआ था। दोनों के दो बच्चे हैं—19 वर्षीय बेटी, जो माँ के साथ रहती है, और 16 वर्षीय बेटा, जो पिता के पास है।

अनिल का आरोप था कि कोविड-19 महामारी के दौरान जब अदालतें बंद रहीं और उनकी आय रुक गई, तब पत्नी ने उन्हें सहयोग देने की बजाय “बेरोजगार” कहकर ताने दिए और लगातार अपमानित किया। स्थिति तब बिगड़ी जब 2 अगस्त 2020 को श्रद्धा बेटी और सामान लेकर घर छोड़कर चली गईं। 16 सितंबर को उन्होंने एक लिखित पत्र छोड़कर पति और बेटे से हमेशा के लिए अलग होने का निर्णय जता दिया।

श्रद्धा ने महिला थाना, सेक्टर-6 भिलाई में भी आवेदन देकर कहा कि वह स्वेच्छा से घर छोड़ रही हैं और इसके लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।

इसके बाद अनिल ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक का मामला दायर किया। लेकिन 25 अक्टूबर 2023 को दुर्ग फैमिली कोर्ट ने उनकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि पत्नी शादी निभाना चाहती हैं। उल्लेखनीय है कि श्रद्धा न तो कोर्ट में पेश हुईं, न ही कोई लिखित जवाब दिया।

हाईकोर्ट में अपील पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति राजनी दुबे और न्यायमूर्ति अमितेन्द्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ ने पाया कि पत्नी का बार-बार ताने देना, आर्थिक संकट में पति का मज़ाक उड़ाना और एकतरफा घर छोड़ देना, मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है।

कोर्ट ने कहा— “Ph.D. प्राप्त करने और प्रिंसिपल की नौकरी मिलने के बाद पत्नी का व्यवहार पति के प्रति बदल गया। कोविड के दौरान उन्हें बेरोजगार कहकर अपमानित करना और बार-बार झगड़े करना मानसिक क्रूरता है।”

बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि विवाह का रिश्ता पूरी तरह टूट चुका है और अब पुनर्मिलन की कोई संभावना नहीं है। नतीजतन, हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश रद्द कर तलाक मंज़ूर कर दिया।