छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: कुत्ते से गंदे हुए मिड-डे मील खाने वाले 84 बच्चों को 25-25 हज़ार मुआवज़ा

रायपुर, 21 अगस्त 2025।
छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार-भाटापारा ज़िले के एक सरकारी मिडिल स्कूल में जुलाई में बच्चों को कुत्ते से गंदा हुआ मिड-डे मील परोसे जाने के मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने 84 बच्चों को 25-25 हज़ार रुपये मुआवज़ा देने का आदेश दिया है।

28 जुलाई को लच्छनपुर गाँव के सरकारी मिडिल स्कूल में यह शर्मनाक घटना हुई थी। जब बच्चों ने देखा कि खाने में कुत्ता घुस आया है और भोजन को गंदा कर गया है, तो उन्होंने शिक्षकों को बताया। शिक्षकों ने तुरंत खाने को रोकने की सलाह दी, लेकिन स्व-सहायता समूह (SHG) के सदस्यों ने चेतावनी को नज़रअंदाज़ कर दूषित भोजन बच्चों में बाँट दिया।

कुछ ही देर बाद मामला सामने आया तो पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। बच्चों को तुरंत स्वास्थ्य जांच और एंटी-रेबीज़ के तीन टीके लगाए गए। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, सभी 84 बच्चे 8 अगस्त तक स्वस्थ पाए गए और नियमित रूप से स्कूल जाने लगे।

हाईकोर्ट ने इस घटना का स्वत: संज्ञान (सुओ-मोटो) लेते हुए इसे जनहित याचिका में बदल दिया और सरकार से जवाब तलब किया। सरकार ने दलील दी कि बच्चों के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं हुआ, इसलिए मुआवज़े की ज़रूरत नहीं है। लेकिन मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की डिवीजन बेंच ने इस दलील को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने कहा –
“यह सरकार की जिम्मेदारी थी कि बच्चों को साफ-सुथरा और सुरक्षित भोजन मिले। यह गंभीर लापरवाही है। इसलिए प्रत्येक बच्चे को 25,000 रुपये मुआवज़ा दिया जाना चाहिए। राज्य सरकार एक महीने के भीतर भुगतान सुनिश्चित करे।”

इस घटना के बाद प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए—

  • दोषी स्व-सहायता समूह को मिड-डे मील की जिम्मेदारी से हटा दिया और भविष्य में किसी सरकारी योजना से वंचित कर दिया।
  • स्कूल के प्रभारी प्राचार्य, क्लस्टर प्राचार्य और कई शिक्षकों को निलंबित कर दिया।
  • ज़िला कलेक्टर ने मिड-डे मील की गुणवत्ता, साफ-सफाई और वितरण के नए निर्देश जारी किए।
  • स्कूल शिक्षा संचालनालय ने प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के तहत सभी ज़िलों के शिक्षा अधिकारियों को नियमित निरीक्षण के आदेश दिए।

कोर्ट ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में बच्चों की सुरक्षा और पोषण के साथ कोई समझौता न किया जाए।