30 दिन जेल में रहने पर मंत्री पद जाएगा: 130वां संविधान संशोधन विधेयक संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया

नई दिल्ली, 20 अगस्त 2025।
देश की सियासत में हलचल मचाने वाला 130वां संविधान संशोधन विधेयक आज लोकसभा में पेश किया गया। इस विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई केंद्रीय या राज्य मंत्री (जिसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी शामिल हैं) 30 दिनों तक लगातार किसी गंभीर अपराध में जेल में रहता है, तो उसे पद से हटाया जा सकेगा।

गृहमंत्री अमित शाह ने इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया। इसके साथ ही केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित दो अन्य विधेयक—1963 का शासित प्रदेश शासन अधिनियम और 2019 का जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम—में भी संशोधन प्रस्तावित किए गए।

हालांकि विधेयक का विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया। असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM), मनीष तिवारी (कांग्रेस), एनके प्रेमचंद्रन (RSP), केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस) और धर्मेन्द्र यादव (सपा) समेत कई नेताओं ने आपत्ति जताई। बावजूद इसके, मतदान में बहुमत से विधेयक को पेश करने और संयुक्त समिति को भेजने का रास्ता साफ हो गया।

अब यह विधेयक 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा सांसदों की संयुक्त समिति को भेजा गया है, जो इस पर गहन अध्ययन कर रिपोर्ट देगी।

क्या होगा नया प्रावधान?

👉 संविधान के अनुच्छेद 75, अनुच्छेद 164 और अनुच्छेद 239AA में बदलाव कर यह जोड़ा जाएगा कि यदि कोई मंत्री 30 दिन तक जेल में रहता है तो उसे राष्ट्रपति/राज्यपाल/उप राज्यपाल पद से हटा देंगे।
👉 अगर प्रधानमंत्री 31वें दिन तक राष्ट्रपति को सलाह नहीं देते हैं तो मंत्री अपने आप पद से हटा हुआ माना जाएगा।
👉 हालांकि, जेल से बाहर आने के बाद उसी मंत्री को दोबारा पद पर नियुक्त किया जा सकता है।

विधेयक का तर्क

विधेयक के ‘उद्देश्य और कारण’ में कहा गया है कि मंत्री का चरित्र “संदेह से परे” होना चाहिए और वह केवल जनता की सेवा के लिए कार्य करे। किसी गंभीर अपराध में जेल में बंद मंत्री संवैधानिक नैतिकता और सुशासन के सिद्धांतों को नुकसान पहुंचा सकता है और जनता का विश्वास तोड़ सकता है।

पृष्ठभूमि

हाल के वर्षों में कई बड़े नेताओं और मंत्रियों को जेल जाना पड़ा है—

  • अरविंद केजरीवाल (दिल्ली शराब नीति मामला)
  • हेमंत सोरेन (झारखंड जमीन घोटाला)
  • व. सेंथिल बालाजी (तमिलनाडु कैश-फॉर-जॉब्स घोटाला)
  • पार्थ चटर्जी (प. बंगाल भर्ती घोटाला)

इन मामलों ने सवाल खड़े किए कि क्या जेल में रहने वाले मंत्री जनता की सेवा कर सकते हैं। इसी संदर्भ में यह विधेयक महत्वपूर्ण माना जा रहा है।