रायपुर, 19 अगस्त 2025।
शंकर नगर स्थित बीटीआई ग्राउंड में चल रही ग्रामोद्योग प्रदर्शनी इन दिनों शहरवासियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। परंपरा और आधुनिकता का संगम लिए यह प्रदर्शनी न केवल छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति की झलक पेश कर रही है, बल्कि स्थानीय बुनकरों और शिल्पकारों की मेहनत को भी सीधे लोगों तक पहुँचा रही है।
रायपुर की गृहिणी सुनीता वर्मा ने अपनी पसंद की कोसा की साड़ी और बेलमेटल की सजावटी वस्तुएँ खरीदने के बाद मुस्कुराते हुए कहा –
“इतनी अच्छी गुणवत्ता और इतना बढ़िया काम हमें यहीं किफायती दर पर मिल रहा है। त्योहारों से पहले यह प्रदर्शनी किसी तोहफे से कम नहीं।”
प्रदर्शनी में कोसा और कॉटन की साड़ियां, बेडशीट, ड्रेस मटेरियल, कॉटन बैग, शाल, जैकेट, बेलमेटल, काष्ठ-बॉस शिल्प और लौहशिल्प सामग्री सबसे ज्यादा बिक रही हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी अपने-अपने पसंदीदा सामान खरीदने पहुंच रहे हैं।
यह प्रदर्शनी 7 अगस्त (राष्ट्रीय हाथकरघा दिवस) से शुरू हुई थी और 31 अगस्त तक चलेगी। इस दौरान अधिकतम 60 प्रतिशत तक की छूट भी दी जा रही है। त्योहारों के मौसम को देखते हुए यहां लगी भीड़ इस बात की गवाही है कि लोग छत्तीसगढ़ी कला और शिल्प से कितनी गहराई से जुड़े हैं।
ग्रामोद्योग विभाग के सचिव सह-संचालक श्री श्याम धावड़े ने बताया कि,
“विशेषकर महिलाएं भारी संख्या में प्रदर्शनी में आ रही हैं और अपने परिवार के लिए वस्त्रों के साथ-साथ घर सजावट की सामग्री खरीद रही हैं। गोदना शिल्प, शीसल शिल्प और हाथकरघा वस्त्रों की जबरदस्त मांग है।”
छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा विपणन संघ के सचिव श्री एम.एम. जोशी के अनुसार,
“इस प्रदर्शनी में बिक्री उम्मीद से कहीं अधिक हो रही है। किफायती दर और पारंपरिक सौंदर्य ने लोगों का दिल जीत लिया है।”
त्योहारों से पहले यह प्रदर्शनी न केवल छत्तीसगढ़ की लोककला और बुनकर परंपरा को बढ़ावा दे रही है, बल्कि स्थानीय कारीगरों की आर्थिक मजबूती का भी आधार बन रही है।
