हवाई अड्डे जैसी सख्ती: रेलवे में अब तय वजन से ज़्यादा सामान ले जाने पर देना होगा जुर्माना

रायपुर, 19 अगस्त 2025।
भारतीय रेल यात्रियों के लिए अब सफ़र का अनुभव कुछ अलग होने वाला है। रेलवे जल्द ही बड़े स्टेशनों पर हवाई अड्डे जैसे सख्त बैगेज नियम लागू करने जा रहा है। अब प्लेटफ़ॉर्म पर प्रवेश से पहले यात्रियों के सामान का वजन और स्क्रीनिंग की जाएगी। तय सीमा से अधिक वजन होने पर जुर्माना वसूला जाएगा।

नई व्यवस्था के मुताबिक –

  • फ़र्स्ट एसी यात्री 70 किलो तक सामान मुफ़्त ले जा सकेंगे।
  • एसी टू टियर के लिए 50 किलो की सीमा होगी।
  • एसी थ्री टियर और स्लीपर क्लास यात्रियों को 40 किलो तक की अनुमति रहेगी।
  • जनरल क्लास के यात्रियों के लिए सीमा 35 किलो तय की गई है।

इस नई पहल के पीछे रेलवे का तर्क है कि इससे प्लेटफ़ॉर्म और डिब्बों में अनियंत्रित भीड़ पर काबू पाया जा सकेगा और सुरक्षा स्तर भी बेहतर होगा। प्रयागराज, कानपुर, मिर्ज़ापुर और अलीगढ़ जैसे बड़े स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक वेट मशीनें लगाई जा रही हैं।

सीनियर डिविजनल कमर्शियल मैनेजर हिमांशु शुक्ला का कहना है – “इससे यात्री केवल अनुमत सामान के साथ ही प्लेटफ़ॉर्म पर प्रवेश करेंगे। इससे डिब्बों में भीड़ कम होगी और ट्रेन समय पर चलेगी।”

यात्रियों की चिंता और उम्मीद

कई यात्री जहां इस बदलाव को सुरक्षा और सुविधा की दिशा में बड़ा कदम मान रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे अतिरिक्त बोझ की तरह देख रहे हैं। खासकर आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके के यात्रियों के लिए जुर्माने की आशंका परेशानी बढ़ा सकती है।

रेलवे का कहना है कि साइकल और स्कूटर जैसे बड़े सामानों को इस फ्री बैगेज सीमा में शामिल नहीं किया जाएगा। साथ ही, धीरे-धीरे स्टाफ़ को ट्रेनिंग देकर और इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड कर यह सिस्टम सुचारू रूप से लागू किया जाएगा।

पृष्ठभूमि

भारतीय रेल लंबे समय से अनियंत्रित और भारी सामान के कारण डिब्बों में भीड़, असुरक्षा और यात्रियों की परेशानी का सामना कर रही थी। पहले नियम ढीले थे और लागू भी सही से नहीं होते थे। अब सरकार के रेल आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत यह बदलाव लाया जा रहा है।

दिसंबर 2026 से एक और बड़ा बदलाव होगा – प्लेटफ़ॉर्म पर प्रवेश केवल मान्य टिकट दिखाकर ही मिलेगा। साफ है कि रेलवे अब सुरक्षा और सुविधा दोनों को विश्वस्तरीय मानकों तक ले जाने की तैयारी में है।

मानवीय दृष्टिकोण

यह बदलाव सही दिशा में है, लेकिन ज़रूरी है कि नियम लागू करने के साथ-साथ यात्रियों को स्पष्ट जानकारी, मदद और शिकायत समाधान की सुविधा भी मिले। विविधता से भरे देश में नियम कड़े हों, लेकिन मानवीय संवेदनाओं को ध्यान में रखकर ही लागू किए जाएँ।