रायपुर, 17 अगस्त 2025।
छत्तीसगढ़ की जेलों में भीड़भाड़ का संकट गहराता जा रहा है। राज्य की 33 जेलों में 14,883 कैदियों की अधिकृत क्षमता है, लेकिन यहां 20,500 कैदी बंद हैं। यानी करीब 5,600 कैदी क्षमता से ज्यादा। इस स्थिति पर हाईकोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है और जेल महानिदेशक (DG Prisons) को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने कैदियों की स्थिति पर दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कहा कि जेलों में भीड़भाड़ कैदियों के बुनियादी अधिकारों और मानवीय गरिमा का उल्लंघन है। कोर्ट ने सरकार को तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए।
रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ?
DG (Prisons) की ओर से दाखिल रिपोर्ट में बताया गया कि—
- 5 अगस्त 2025 तक राज्य की 33 जेलों में 20,500 कैदी थे।
- रायपुर, महासमुंद, जशपुर और अंबिकापुर जेल में अतिरिक्त बैरक का निर्माण पूरा हो चुका है।
- दुर्ग, रायपुर और सूरजपुर में अभी काम जारी है।
- बेमेतरा ओपन जेल लगभग तैयार है, सिर्फ बिजली और अन्य छोटे काम बाकी हैं, जिन्हें अगस्त के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा।
- रायपुर के गोधी और बिलासपुर के बैमा नागोई में नई जेलों का निर्माण चल रहा है।
- 21 जेलों में 31 अतिरिक्त बैरक बनाने के लिए 31 करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट स्वीकृत किया गया है।
कल्याण अधिकारियों की कमी
अमाइकस क्यूरी सुनील पिल्लई ने कोर्ट को बताया कि कैदियों के कानूनी अधिकारों और सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कल्याण अधिकारी बेहद जरूरी हैं। लेकिन अभी यह अधिकारी सिर्फ 4-5 जेलों में ही तैनात हैं। अधिकांश जिला जेलों में यह पद खाली हैं। कोर्ट ने इसे गंभीर कमी मानते हुए सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की।
अगली सुनवाई
हाईकोर्ट ने DG (Prisons) को 16 सितंबर 2025 तक नई प्रगति रिपोर्ट और व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
