अभूझमाड़ (छत्तीसगढ़), 15 अगस्त 2025। दशकों से नक्सल प्रभाव में रहे छत्तीसगढ़ के अभूझमाड़ के सात गांव इस बार पहली बार स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाएंगे। तिरंगा यहां पहली बार फहराया जाएगा। इसके साथ ही पड़ोसी बीजापुर और सुकमा ज़िलों के सात अन्य गांव भी नक्सली प्रभाव से मुक्त होने के बाद पहली बार तिरंगे की शान में सर झुकाएंगे।
करीब 4,000 वर्ग किलोमीटर में फैला यह इलाका, जिसे ‘माड़’ भी कहा जाता है, चार दशकों से नक्सलियों का गढ़ रहा है। लेकिन 2024 से शुरू हुई काउंटर-इंसर्जेंसी मुहिम ने हालात बदल दिए हैं। अब तक 448 नक्सली मारे जा चुके हैं, जिनमें से 100 से अधिक अभूझमाड़ में ढेर किए गए।
अभूझमाड़ के सात गांव—कुटुल, बेदमकोटी, पदमकोट, नेलांगुर (कोहकामेटा थाना), पांगुर, कांदुलनार (सोनपुर थाना) और रैनार (ओरछा थाना)—इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनेंगे। बीजापुर के पांच और सुकमा के दो गांव भी आज़ादी के इस महापर्व को पहली बार खुले दिल से मनाएंगे।
बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी के अनुसार, “लगभग 4,000 वर्ग किलोमीटर के माड़ क्षेत्र का करीब 60% हिस्सा अब सुरक्षा बलों के नियंत्रण में है। हाल के महीनों में नए सुरक्षा शिविरों के कारण बल अब पूरे क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से अभियान चला सकते हैं।”
इस बदलाव के साथ यहां लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को लागू करने, चुनाव कराने और विकास परियोजनाओं को गति देने का रास्ता खुला है। क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग 130-डी का निर्माण जारी है, जो कोंडागांव (छत्तीसगढ़) से गढ़चिरोली (महाराष्ट्र) तक जाएगा और नारायणपुर व कांकेर ज़िलों के अभूझमाड़ से गुज़रेगा।
इसके अलावा, 120 मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं ताकि दूरस्थ गांवों में संचार सुविधा पहुंचे। राज्य सरकार की ‘नियाद नेल्लानार’ पहल के तहत पानी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं भी यहां पहुंचाई जा रही हैं।
यह स्वतंत्रता दिवस इन गांवों के लिए केवल तिरंगा फहराने का दिन नहीं, बल्कि दशकों की भय और अलगाव की परतें हटाकर एक नए सवेरे की शुरुआत है।
