बिहार में मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटाए, सुप्रीम कोर्ट ने दिए सार्वजनिक करने के आदेश

नई दिल्ली, 14 अगस्त 2025।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सख्त निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा है कि इन नामों की पूरी सूची, हटाने का कारण सहित, मंगलवार तक जिला स्तर की वेबसाइटों पर अपलोड की जाए और इसे अधिकतम प्रचारित किया जाए, ताकि हर मतदाता अपनी जानकारी स्वयं जांच सके।

न्यायमूर्ति सूर्या कांत और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने स्पष्ट किया कि सूची केवल ऑनलाइन ही नहीं बल्कि पंचायत भवनों, ब्लॉक विकास कार्यालयों और पंचायत कार्यालयों के नोटिस बोर्ड पर भी चस्पा की जाए। इसके अलावा, अखबारों, दूरदर्शन और अन्य चैनलों पर स्थानीय भाषा में इसकी व्यापक घोषणा की जाए।

अदालत ने यह भी कहा कि जिनका नाम गलती से हटा दिया गया है, वे आधार कार्ड की प्रति के साथ दावा दाखिल कर सकते हैं। यह फैसला इसलिए अहम है क्योंकि याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण में आधार को पहचान के रूप में स्वीकार नहीं किया जा रहा था, जिससे लाखों मतदाता प्रभावित हो सकते थे।

सुनवाई के दौरान, चुनाव आयोग ने बताया कि 65 लाख हटाए गए नामों में से 22 लाख लोग मृत पाए गए। इस पर न्यायमूर्ति कांत ने कहा, “अगर 22 लाख लोग मृत हैं, तो यह जानकारी बूथ स्तर पर क्यों नहीं दी गई? नागरिकों के अधिकार राजनीतिक दलों पर निर्भर नहीं होने चाहिए।”

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि यह सूची EPIC नंबर और बूथ वार खोजने योग्य हो, ताकि कोई भी नागरिक सीधे वेबसाइट पर अपना नाम और स्थिति देख सके। न्यायमूर्ति कांत ने उदाहरण देते हुए कहा, “अनीता देवी को पता होना चाहिए कि मैं इस वेबसाइट पर जाऊं, तो मुझे अपना नाम और आगे की प्रक्रिया की जानकारी मिले।”

अब यह मामला 22 अगस्त को दोबारा सुना जाएगा। अदालत ने साफ कर दिया कि पारदर्शिता और नागरिकों का भरोसा बनाए रखने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है।