दुर्ग,12 अगस्त 2025। राजनीति में अक्सर मतभेद और विचारधाराओं की दीवारें दिखती हैं, लेकिन कभी-कभी ऐसा पल भी आता है जब सभी नेता एक ही मंच पर खड़े होकर मानवीय रिश्तों को प्राथमिकता देते हैं। दुर्ग भाजपा के निर्वतमान जिलाध्यक्ष जितेंद्र वर्मा का 10 अगस्त का जन्मदिन ऐसा ही अवसर बना, जब न सिर्फ भाजपा के वरिष्ठ नेता, बल्कि कांग्रेस के नेता भी उन्हें शुभकामनाएं देने पहुंचे।
जितेंद्र वर्मा का नाम दुर्ग भाजपा की राजनीतिक यात्रा में उस दौर से जुड़ा है, जब संगठन मुश्किल परिस्थितियों से गुजर रहा था। कांग्रेस का मजबूत किला, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह जिला, और भाजपा के पास पांच में से एक भी विधानसभा सीट नहीं—ऐसे समय में पाटन के छोटे से गांव के इस नेता ने जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने टूटे मनोबल को जोड़ा, गुटबाजी की दीवारें तोड़ीं और “एक आवाज, एक लक्ष्य” का मंत्र देकर कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी।
चुनावों में बदलाव का चेहरा बने
विधानसभा चुनावों में उनके नेतृत्व में दुर्ग भाजपा ने साजा, अहिवारा, दुर्ग ग्रामीण और दुर्ग शहर सीटों पर जीत दर्ज की। सदस्यता अभियान में प्रदेश में पहला स्थान हासिल करना और मंडल अध्यक्ष चुनाव में अभूतपूर्व सामंजस्य दिखाना उनकी संगठनात्मक सफलता का प्रमाण रहा।
कठिन समय में भी मोर्चे पर डटे
नगरीय निकाय चुनावों के दौरान व्यक्तिगत और पारिवारिक स्वास्थ्य चुनौतियों के बावजूद, वे चुनावी मैदान में डटे रहे और पार्टी को उल्लेखनीय जीत दिलाई। धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजनों, जैसे कांवड़ यात्रा, के माध्यम से उन्होंने संगठन की जड़ों को समाज में और गहराई से जोड़ा।
जन्मदिन पर बधाइयों की बौछार
10 अगस्त को अपने 53वें जन्मदिन की शुरुआत उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के संकल्प के साथ पाटन ब्लॉक के ग्राम सेलूद में वृक्षारोपण से की। कौही स्थित शिव मंदिर में पूजा-अभिषेक के बाद पाटन और दुर्ग में आयोजित कार्यक्रमों में हजारों कार्यकर्ता और समर्थक उमड़े।
शाम को दुर्ग के एक सामाजिक भवन में आयोजित कार्यक्रम में सांसद विजय बघेल, विधायक डोमन लाल कोर्सेवाड़ा, ललित चंद्राकर, गजेंद्र यादव, ईश्वर साहू, पूर्व मंत्री रमशिला साहू, पूर्व विधायक अरुण वोरा, महापौर अलका बाघमार, जिला भाजपा अध्यक्ष सुरेंद्र कौशिक सहित भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज नेता मौजूद रहे।
कार्यक्रम में न सिर्फ राजनीतिक चर्चा हुई, बल्कि नेताओं ने व्यक्तिगत स्तर पर जितेंद्र वर्मा के योगदान और उनके सहज स्वभाव की सराहना की। यह दिन राजनीति की कठोर दीवारों के बीच मानवीय रिश्तों की मिठास का उदाहरण बन गया।
